चाणक्य नीति:- वाणी में मधुरता लाएं Date : 24-Apr-2024 को हि भार: समर्थानां किं व्यवसायिनाम | को विदेश सुविधानां को पर: प्रियवादिनाम || आचार्य चाणक्य यहाँ मधुरभाषिता को व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण गुण बताते हुए कहते हैं कि सामर्थ्यवान व्यक्ति को कोई वस्तु भारी नहीं होती | व्यापारियों के लिए कोई जगह दूर नहीं होती | विद्वान के लिए कहीं विदेश नहीं होता | मधुर बोलनेवाले का कोई पराया नहीं होता | अभिप्राय यह है कि समर्थ व्यक्ति के लिए कौन-सी वस्तु भी भारी होती है | वह अपनी सामर्थ्य के बल पर कुछ भी कर सकता है | व्यापारियों के लिए दूरी क्या? वह वस्तु व्यापार के लिए कहीं भी जा सकता है |विद्वान के लिए कोई-सा देश-विदेश नहीं क्योंकि अपने ज्ञान से वह सभी जगह अपने लिए वातावरण बना लेगा | मधुर बोलनेवाले व्यक्ति के लिए कोई पराया नहीं क्योंकि मधुरभाषिता से वह सबको अपना बना लेता है |