नेपाल सरकार ने बीमा प्राधिकरण (Nepal Insurance Authority - NIA) के अध्यक्ष शरद ओझा को फर्जी दस्तावेज़ों के आरोप और उनके आचरण की जांच के चलते निलंबित कर दिया है। ओझा पर यह आरोप है कि उन्होंने अपनी नियुक्ति के लिए जाली दस्तावेज़ पेश किए थे। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की गई है।
सरकार ने ओझा के प्रदर्शन और आचरण की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश कृष्ण गिरि की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। समिति में कपिल देव ओली और जीवन प्रकाश सितौला को भी शामिल किया गया है।
इस बीच, भ्रष्टाचार निरोधक निकाय (CIAA) ने भी बीमा प्राधिकरण में कथित दुरुपयोग की स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है।
एक और भ्रष्टाचार मामला: मंत्री राजकुमार गुप्ता पर गंभीर आरोप
संघीय मामलों और सामान्य प्रशासन मंत्री राजकुमार गुप्ता को एक लीक ऑडियो रिकॉर्डिंग में कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल पाए जाने के बाद इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया।
रिकॉर्डिंग में मंत्री को:
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कास्की जिले में भूमि राजस्व कार्यालय के तत्कालीन प्रमुख के तबादले को रोकने के लिए ₹53 लाख की रिश्वत लेते
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और भूमि आयोग में एक जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए ₹25 लाख की रिश्वत लेते सुना गया।
इस प्रकार उन पर कुल ₹78 लाख की अवैध लेन-देन का आरोप है।
इसके बाद, यूएमएल पार्टी की नेता भगवती न्यौपाने को नए संघीय मामलों और सामान्य प्रशासन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
सरकार का रुख: "भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस"
नेपाल सरकार के प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ 'शून्य सहिष्णुता' (Zero Tolerance) की नीति अपनाई है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी मामले में सरकार आँखें मूंदे बिना निष्पक्ष कार्रवाई करेगी।
यह घटनाक्रम नेपाल में राजनीतिक और संस्थागत पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।