प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भूटान यात्रा के दूसरे दिन थिम्पू के चांगलिमथांग स्टेडियम में आयोजित कालचक्र अभिषेक समारोह में भाग लिया। यह तीन दिवसीय समारोह तिब्बती बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण और जटिल अनुष्ठान है, जो आत्मज्ञान प्राप्ति हेतु विशेष ध्यान साधना की शक्ति प्रदान करता है। कालचक्र दीक्षा समय, ब्रह्मांड और मानव अनुभव के समन्वय का प्रतीक मानी जाती है।
इस समारोह की अध्यक्षता परम पूज्य जे खेंपो ने की। कार्यक्रम के दौरान वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव, कालचक्र कला एवं कलाकृतियों की प्रदर्शनी, तथा कालचक्र विषयक विद्वत्तापूर्ण संगोष्ठियाँ भी आयोजित की गईं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कल भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात की और भारत-भूटान संबंधों को और सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक हितों से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।
श्री मोदी ने ताशिछोद्ज़ोंग के ग्रैंड कुएनरे हॉल में प्रतिष्ठित भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों के समक्ष प्रार्थना भी की। इसके बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से 1020 मेगावाट की पुनात्सांगचु-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
भारत और भूटान ने इस अवसर पर नवीकरणीय ऊर्जा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में तीन समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही भारत सरकार ने भूटान में ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु 4,000 करोड़ रुपये की रियायती ऋण सुविधा देने की घोषणा की, जिससे दोनों देशों के बीच विकास सहयोग को और बल मिलेगा।
