केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से आग्रह किया है कि वे ऋण वसूली की प्रक्रिया को निष्पक्ष, सहानुभूतिपूर्ण और सम्मानजनक बनाएं, ताकि ग्राहकों के साथ किसी भी प्रकार का वित्तीय शोषण न हो। उन्होंने यह टिप्पणी नई दिल्ली में आयोजित एनबीएफसी संगोष्ठी 2025 को संबोधित करते हुए की।
मुख्य बातें:
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ऋण वसूली भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की निष्पक्ष व्यवहार संहिता के अनुरूप होनी चाहिए।
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वित्तीय समावेशन को कभी भी वित्तीय दबाव या शोषण का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
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ऋण वितरण उधारकर्ताओं की वास्तविक आवश्यकताओं और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए।
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ऋणों का आक्रामक प्रचार या ग्राहकों पर जबरन थोपना निंदनीय है।
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ब्याज दरें उचित और पारदर्शी होनी चाहिए।
एनबीएफसी की भूमिका पर ज़ोर:
मंत्री सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी को प्रशासन, जोखिम प्रबंधन और ग्राहक संरक्षण को अपनी मूल नैतिक जिम्मेदारियों में शामिल करना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आर्थिक रूप से कमजोर और कम जागरूक तबकों के लिए ऋण सेवाएं उपलब्ध कराते समय संवेदनशीलता और जवाबदेही बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब देशभर में डिजिटल और माइक्रो-फाइनेंस क्षेत्र में कुछ एनबीएफसी के आक्रामक ऋण वसूली तरीकों को लेकर आलोचना हो रही है। वित्त मंत्री का यह स्पष्ट संदेश इस दिशा में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।