नई दिल्ली, 26 मार्च नामीबिया से भारत लाई गई मादा चीता 'साशा' की सोमवार को मौत हो गई। उसे गुर्दे की बीमारी थी। आधिकारिक बयान के अनुसार यह बीमारी उसे भारत लाए जाने से पहले ही थी।
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी को नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए थे जिसमें से चार नर और चार मादा थी। इन्हें बाद में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया था। इनमें से एक 'साशा' को अस्वस्थ पाए जाने पर खून की जांच से सामने आया था कि उसे गुर्दों का संक्रमण था।
बयान के अनुसार हाल ही में उनकी मॉनिटरिंग कर रही चिकित्सकों की टीम ने पाया कि साशा बीमार है और उसके बाद उसका इलाज शुरू किया गया। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों तथा कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त की गई। जिससे पता चला कि पिछले साल 15 अगस्त को नामीबिया में खून के नमूने की जांच में क्रियेटिनिन का स्तर 400 से अधिक था। इससे पुष्टि होती है कि इस आशा को गुर्दे की बीमारी भारत में आने से पहले ही थी।
बयान में आगे कहा गया है कि स्वास्थ्य टीम ने साशा की देखभाल की पूरी कोशिश की और उसे उचित उपचार प्रदान किया लेकिन फिर भी वह उसे बचा नहीं पाए।
बयान के अनुसार नामीबिया से लाए गए शेष सात चीते जिनमें तीन नर और एक मादा स्वच्छंद विचरण हेतु खुले वन क्षेत्र में छोड़े गए हैं, पूरी तरह से स्वस्थ एवं सक्रिय हैं तथा सामान्य रूप से शिकार कर रहे हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीते वर्तमान में क्वॉरेंटाइन वार्डों में है तथा पूरी तरह से स्वस्थ और सक्रिय हैं।