चींटियों की अनोखी खेती: लाखों साल पुरानी कृषि प्रणाली | The Voice TV

Quote :

ज्ञान ही एकमात्र ऐसा धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता - अज्ञात

Science & Technology

चींटियों की अनोखी खेती: लाखों साल पुरानी कृषि प्रणाली

Date : 04-Feb-2025

जब भी खेती-किसानी की बात होती है, तो हमारे दिमाग में हल-बैल के साथ मेहनत करते किसानों की छवि उभरती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चींटियां इंसानों से करोड़ों साल पहले खेती करना सीख चुकी थीं? वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, चींटियों ने लगभग 6.6 करोड़ साल पहले खेती की शुरुआत कर दी थी, जो डायनासोर के विलुप्त होने के समय का भी है।

आज दुनिया में कई चींटी प्रजातियां फफूंद (फंगस) की खेती करती हैं। ये चींटियां पेड़ों की पत्तियां काटकर अपनी बांबी तक ले जाती हैं और उन्हें खास वातावरण में सहेजती हैं। इन ताज़ी हरी पत्तियों पर फफूंद उगती हैं, जो इन चींटियों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत बनती हैं।

चींटियों और फफूंद का पुराना रिश्ता

वैज्ञानिकों का मानना है कि चींटियों और फफूंद का यह आपसी संबंध लाखों वर्षों से चला आ रहा है। हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह रिश्ता 6.6 करोड़ वर्ष पहले शुरू हुआ था, जब पृथ्वी पर एक विशाल उल्का टकराने के कारण पर्यावरण में भारी बदलाव आए। इस घटना से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया महीनों तक बाधित रही, जिससे कई पेड़-पौधे और उन पर निर्भर जीव समाप्त हो गए।

हालांकि, इस संकट के दौरान फफूंद को पनपने का अवसर मिला, क्योंकि ये मुख्य रूप से मृत जैविक पदार्थों को विघटित करके भोजन प्राप्त करती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जो चींटियां पहले से ही फफूंदों के साथ मामूली संबंध बना चुकी थीं, उन्होंने इस समय इस रिश्ते को और मजबूत कर लिया।

चींटियों की खेती का वैज्ञानिक अध्ययन

चींटियों के फफूंद बागानों का पहला वैज्ञानिक विवरण लगभग 150 साल पहले दर्ज किया गया था। तब से लेकर अब तक वैज्ञानिकों ने 247 ऐसी चींटी प्रजातियों की खोज की है, जो फफूंद की खेती करती हैं और भोजन के लिए पूरी तरह उन पर निर्भर रहती हैं।

हालांकि, इस कृषि प्रणाली की उत्पत्ति और विकास को ठीक से समझना चुनौतीपूर्ण था। इसकी एक वजह यह थी कि फफूंद की विभिन्न प्रजातियों के बीच संबंधों का सही वंशवृक्ष तैयार करना मुश्किल था। लेकिन नई जीनोम विश्लेषण तकनीकों की मदद से वैज्ञानिक अब 475 फफूंद प्रजातियों का जीनोम निर्धारित करने में सक्षम हो गए हैं। इनकी तुलना 276 चींटी प्रजातियों के जीनोम से की गई, जिससे वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद मिली कि इनका संबंध कब शुरू हुआ था।

इस शोध का निष्कर्ष यह है कि लगभग 6.6 करोड़ वर्ष पहले चींटियों ने फफूंदों की खेती शुरू की थी। शुरुआत में ये चींटियां जंगली फफूंदों को उगाकर उपयोग करती थीं, लेकिन लगभग 2.7 करोड़ वर्ष पहले कुछ चींटियों ने फफूंद की विशेष प्रजातियों को पूरी तरह पालतू बना लिया। अब ये फफूंदें अपने जंगली पूर्वजों से पूरी तरह अलग हो चुकी हैं और केवल चींटियों के संरक्षण में ही जीवित रह सकती हैं।

चींटियां केवल किसान ही नहीं, पशुपालक भी हैं

चींटियों की कृषि पद्धति सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है। आश्चर्यजनक रूप से, ये छोटी जीव केवल फफूंद उगाने का काम नहीं करतीं, बल्कि इंसानों की तरह "पशुपालन" भी करती हैं। कई चींटी प्रजातियां एफिड (Aphid) जैसे कीटों को अपने साथ रखती हैं और उनके द्वारा स्रावित मीठे पदार्थों (हनीड्यू) को भोजन के रूप में इस्तेमाल करती हैं। यह दर्शाता है कि चींटियों की कृषि प्रणाली प्रकृति में सबसे पुरानी और सबसे जटिल कृषि प्रणालियों में से एक है।

चींटियों की यह खेती-किसानी प्रणाली न केवल उनकी अद्भुत सामाजिक संरचना को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि प्रकृति में सहजीवी संबंध (symbiotic relationships) कितने महत्वपूर्ण होते हैं। इंसानों से करोड़ों साल पहले ही इन छोटे जीवों ने खेती का विकास कर लिया था, और आज भी उनकी यह प्रणाली वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन और प्रेरणा का विषय बनी हुई है।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement