जिले में चार सौ साल पुराने एतिहासिक कंस मेले का गुरुवार को आगाज होने जा रहा है। कंस मेला के दौरान अति प्राचीन तालाब में श्रीकृष्ण लीला का मंचन करते हुये नागनाथन का दृश्य देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ेगी है। इस एतिहासिक मेले को लेकर प्रशासन अलर्ट पर है। पांच साल पहले कंस मेले की शोभायात्रा को निकालने को लेकर हुए बवाल में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की थी। इसीलिए इस बार मेले को लेकर जिला प्रशासन के आलाधिकारियों ने अभी से डेरा डाल लिया है।
मौदहा कस्बे में कंस मेले की शुरुआत करीब चार सौ साल पहले अनंत चौदस के दिन हुयी थी। इसका आयोजन गल्ला व्यापार संघ एवं आढ़त संघ के पदाधिकारी करते है। लोकतंत्र सेनानी देवीप्रसाद गुप्ता ने बताया कि तीन दिवसीय एतिहासिक कंस मेले को लेकर हर साल अनंत चौदस के दिन गुड़ाही बाजार में कंस दरबार सजाया जाता है। अगले दिन कंस मेला की शोभायात्रा पूरे कस्बे में निकाली जायेगी। शोभायात्रा में कंस का विमान, श्रीकृष्ण व अन्य देवी देवताओं की अनोखी झांकियां शामिल रहती है।
शोभायात्रा कस्बे के एतिहासिक मीरा तालाब पहुंचेगी जहां कंस सहित अन्य दैत्यों का वध किया जायेगा। बीच तालाब में श्रीकृष्ण नागनाथन करेंगे। यह लीला भी अनोखे अंदाज में की जाती है जिसे देखने के लिये लाखों की भीड़ उमड़ती है। उन्होंने बताया कि इस एतिहासिक मेले के दौरान कस्बे के हर साल की तरह इस बार भी ओरी तालाब में 51 घंटे का अखण्ड कबीरी भजन के कार्यक्रम में होंगे।
कंस, बकासुर व पूतना की सजती है झांकियां
एतिहासिक कार्यक्रम को लेकर बुजुर्ग देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मौदहा कस्बे में तीन दिवसीय कंस मेला के पहले दिन शाम को गुड़ाही बाजार में कंस का दरबार सजाया जाता है। इस दरबार में ही बकासुर व पूतना सहित अन्य झांकियां भी सजायी जाती है। इन झांकियों को देखने के लिये कस्बे के लोगों की भीड़ उमड़ती है। अगले दिन सभी झांकियों को शामिल कर मीरा तालाब ले जाया जाता है जहां कंस सहित सभी दैत्यों का वध की लीला का मंचन होता है।
आम जनता की मदद से होता है कंस मेला
कस्बे के बुजुर्गों ने बताया कि यहां का कंस मेले का इतिहास चार सौ साल पुराना है जिसे स्थानीय लोगों की मदद से हर साल सम्पन्न कराया जाता है। इतने बड़े आयोजन के लिये नगर पालिका या अन्य सरकारी संस्थायें कोई मदद नही करती है। नग पालिका सिर्फ कस्बे में स्वागत गेट बनवाती है। कंस विमान, देवी देवताओं की झांकियां और विभिन्न लीलाओं के मंचन का खर्च गल्ला व्यापार व आढ़ती संघ के लोग ही करते है। पच्चीस प्रतिशत मदद स्थानीय लोग करते है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मशहूर है ये कंस मेला
शिवसेना के प्रदेश उपप्रमुख महंत रतन ब्रह्मचारी ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कोने-कोने में यहां का एतिहासिक कंस मेला मशहूर है। इसे देखने के लिये हमीरपुर के अलावा महोबा, बांदा, चित्रकूट, छतरपुर (मध्यप्रदेश), टीकमगढ़, झांसी, जालौन और फतेहपुर से बड़ी संख्या में लोग आते है। बताते हैं कि तीस साल पहले तीन दिवसीय कंस मेला के दौरान नौटंकी का आयोजन होता था मगर अब इनकी जगह कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने ले ली है।
पांच साल पूर्व मेले में हुआ था बड़ा बवाल
वर्ष 2018 में एतिहासिक कंस मेले की शोभायात्रा निकालने को लेकर दो पक्षों में झड़पे हुई थी जिस पर पथराव के बाद लाठीचार्ज किया गया था। पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी थी। लाठीचार्ज में भाजपा के तमाम नेता और एएसपी समेत नौ सिपाही पथराव में चुटहिल हुए थे। इस घटना को लेकर योगी सरकार ने तत्कालीन जिलाधिकारी आरपी पाण्डेय व एसपी एके सिंह को हटा दिया था। कई दिनों तक भाजपा के कार्यकर्ताओं ने घरना दिया था। कई दिनों तक तनावपूर्ण माहौल रहा।
कंस मेले को लेकर भारी पुलिस बल तैनात
इस बार कंस मेले को लेकर जिला प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है। दो एडीएम, तमाम इंस्पेक्टर, दरोगा समेत भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। एडीएम वित्त एवं राजस्व रमेश चन्द्र ने गुरुवार को बताया कि दो एडीएम, एएसपी, दस इंस्पेक्टर समेत भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। जिलास्तरीय अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। आज होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों और कंस मेले को लेकर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही है। प्रशासन ने फोर्स के साथ रूट मार्च भी किया है।