फतेहपुर। जिले के कोड़ा जहानाबाद कस्बा स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी मंदिर में मातारानी की पूजा अर्चना के लिए भीड़ उमड़ रही है। इस सिद्ध पीठ के बारे में मां के भक्तों में मान्यता है कि यहां पहुंच कर जो भी देवी भक्ति नागाड़ा बजाकर मां के चरणों में माथा टेकता है, वह खुश होकर मां अपने भक्तों की सारी मुरादें पूरी करती हैं।
कस्बा कोड़ा जहानाबाद के मोहल्ला क्योंटरा के समीप रोटी मार्ग के किनारे स्थित प्राचीन सिद्ध पीठ मां अंबिका देवी मंदिर मे लगे पत्थर के अनुसार निर्माण ढाई सौ वर्ष पूर्व काशी राज ने करवाया था। मां की मूर्ति के पास लगे पत्थर में उर्दू व अन्य भाषा में कुछ लिखा हुआ है जिसको पढ़ा नहीं जा सकता लेकिन उर्दू भाषा का प्रयोग होने से यह साबित होता है कि यह मंदिर मुगलकालीन समय का है। मंदिर में स्थापित मां अंबिका देवी की मूर्ति अष्टधातु की है। मंदिर परिसर में मुगलकालीन नक्काशी की झलक दिखाई देती है। मंदिर में दो मुख्य दरवाजे हैं। मंदिर के अंदर जाने के बाद तीन दिशाओं के लिए तीन दरवाजे लगे हैं। मंदिर के अंदर देवी जी के पास ही बड़ा शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा मंदिर परिसर में बजरंगबली नंदी बाबा व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं। मां अंबिका देवी के दर्शन के लिए यूं तो प्रतिदिन मां के चरणों में माथा टेकने भक्त आते हैं। किंतु क्वार(अश्विन) मास व चैत्र माह के नवरात्रों में मंदिर में देवी भक्तों की भारी भीड़ रहती है। चैत्र मास के नवरात्रों में इस मंदिर का विशेष महत्व है क्योंकि चैत्र मास के नवरात्र की अष्टमी और नवमी को विशाल जवारा निकालने के साथ ही मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है। रात्रि में जागरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस सिद्ध पीठ मंदिर की एक मान्यता है कि नागाढ़े की आवाज सुनकर मां अंबिका देवी खुश होती हैं। जब भी कोई भक्त मां के दर्शन करने के लिए मंदिर आता है तो मां की मूर्ति के पास रखे नगाड़े में एक चोभ जरूर मारता है। कहते हैं कि ऐसा करने से मां खुश होती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
मां अंबिका देवी सेवा समिति के व्यवस्थापक मुकुंद गोपाल गुप्ता ने बताया कि मां अंबिका देवी के दर्शन मात्र से भक्तों में आत्मविश्वास की आस्था बढ़ती है। जो बिगड़े काम है वो मां के आशीर्वाद से अवश्य बनते हैं। मां की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती है। आसपास रहने वाले भक्त मां के दर्शन व पूजा अर्चना के लिए दरबार प्रतिदिन पहुंचते हैं।