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ऐसा शिवमंदिर जहां सैकड़ों सालों से नहीं पड़ा ताला

Date : 18-Jul-2023

 हमीरपुर सीमावर्ती गांव में एक ऐसा शिवमंदिर आसपास के तमाम इलाकों में विख्यात है, जहां शिवलिंग में मां पार्वती भी विराजमान है। इस मंदिर में आज तक ताला नहीं पड़ा। इस मंदिर का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है, जहां रात में बारह बजते ही रोशनी से शिवलिंग चमक उठता है। इन दिनों सावन मास में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा है।

हमीरपुर के यमुना पुल पार सजेती क्षेत्र के बीबीपुर गांव ऐतिहासिक है। यहां बीरबल की धरोहरें आज भी मौजूद है। बीरबल के नाम एक बड़ा तालाब आज भी गांव के बाहर है। जो हर साल पानी से लबालब रहता है। इस गांव के बाहर एक बड़ा शिवमंदिर स्थित है, जो गौरीशंकर बाबा के नाम से सर्वत्र विख्यात है। इस मंदिर के गर्भ में सैकड़ों सालों का इतिहास आज भी छिपा है। गांव के पंडित रमाकांत बाजपेयी ने बताया कि गांव के रामप्रताप पाण्डेय और उनके सगे भाई भगवान प्रसाद पाण्डेय ने सैकड़ों साल पहले इस शिवमंदिर का निर्माण कराया था।

वाराणसी से शिवलिंग लाकर यहां मंदिर में विधि विधान से स्थापित कराया गया था। बताया कि वाराणसी के पंडितों ने यहां कई हफ्ते तक मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के लिए रुके थे। शिवाकांत बाजपेई ने बताया कि शिवलिंग में मां पार्वती भी विराजमान है। ये शिवलिंग दिन में कई बार रंग भी बदलता है। इसे नजदीक से देखने पर खुद का चेहरा भी दिखता है।

खजाने के चक्कर में शिवमंदिर के नीचे हुई थी गहरी खुदाई

इस मंदिर की देखरेख करने वाले पंडित रमाकांत बाजपेयी ने बताया कि गौरीशंकर बाबा मंदिर का शिललिंग करीब बीस फीट नीचे तक है। इसके गर्भ में तहखाना भी है। जहां एक तख्त पड़ा है। बताया कि मंदिर के भीतर सौ फीट की गहराई में एक सुरंग है, जिसके जरिए आसपास के मंदिर और प्राचीन कुआं जुड़े हैं। मंदिर के ठीक सामने पचास फीट की दूरी पर एक कुआं है, जिसके अंदर दीवाल में संवत 1844 लिखा है। मंदिर और कुआं भी आपस में सुरंग के जरिए जुड़ा है। बताया कि कई दशक पहले खजाने के चक्कर में कुछ लोगों ने शिवमंदिर में खुदाई कराई थी तब शिवलिंग के गर्भ में चमत्कार देख सभी लोग घबराकर खुदी सुरंग ही छोड़ भाग गए थे। ये लोग बीमार भी हो गए थे।

रात में बारह बजते ही झिलमिले रोशनी से उठता है शिवलिंग

गांव के शिवाकांत बाजपेई, हरनारायण बाजपेई समेत तमाम बुजुर्गों ने बताया कि गौरीशंकर बाबा के मंदिर में विराजमान शिव और पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर मन को बड़ी शांति मिलती है। शिवलिंग के नीचे गहराई में तहखाना है जहां आज भी एक काला नाग फन उठाए बैठा है। इसकी फुफकार से खजाने के लिए खुदाई करने वाले बीमार हो गए थे। इनकी बीमारी शिवलिंग में माथा टेककर माफी मांगने के बाद दूर हुई थी। रात में बारह बजते ही मंदिर में अचानक झिलमिल रोशनी से पूरा शिवलिंग चमक उठता है। घुंघरू के बजने की आवाजें भी आती है जिसे दूर-दूर तक सुना जा सकता है। बताया कि इस मंदिर के सौ फीट की परिधि में कोई भी ठहर नहीं सकता है।

 
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