एक जमाने में जहां गाजियाबाद को अपराध की नगरी कहा जाता था, आज वहां शिक्षा हासिल करने या अध्यन करने क़े संसाधन लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक संस्थान है हरिश्चन्द्र त्यागी पुस्तकालय। जहां पर 80 से 90 हजार विद्यार्थी अध्यन करके अपना करियर बना चुके हैं। इनमें अध्ययन व प्रतियोगिता की तैयारी करके आईएएस,पीसीएस व अन्य सरकारी नौकरी हासिल कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इसका पूरा श्रेय जाता है उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी को। जिन्होंने उस जमाने में नौजवानों को अध्यन करके अपना करियर बनाने का अवसर दिया जब गाजियाबाद को आपराधिक नगरी, कंक्रीट का जंगल न जाने क्या-क्या कहा जाता था। बालेश्वर त्यागी ने वर्ष 1998 में अपने पिता हरिश्चन्द्र त्यागी के नाम पर इस पुस्तकालय की शुरुआत जन सहयोग से शुरू की थी। पार्क में शुरू होने पर कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन बालेश्वर त्यागी शिक्षा की इस मशाल को अड़चनों से निकलते हुए आगे बढ़ते रहे तथा वर्ष 2000 में उन्होंने जीडीए से नेहरूनगर में लीज पर भूमि लेकर इस पुस्तकालय का तीन मंजिल भवन बना दिया और पुस्कालय यहां पर शिफ्ट कर दिया। इसके बाद पुस्तकालय लगातार संचालित किया जा रहा है। जिसमें प्रत्येक दिन न केवल गाजियाबाद बल्कि हापुड़, पिलखुआ ,दादरी समेत दूर दराज से 400 से 500 विद्यार्थी मामूली शुल्क देकर अध्ययन कर रहे हैं। वह भी मामूली शुल्क देकर । यह सदस्यता शुल्क मात्र 300 रुपये वार्षिक है। शुल्क जमा करने के साथ सम्बंधित छात्र का आधार कार्ड, या अन्य कोई अधिकृत आईडी ली जाती है। बालेश्वर त्यागी कहते हैं कि इसका उद्देश्य कोई आय कमाना नहीं, बल्कि उसका वास्तविक उद्देश्य यह रहता है छात्र का जुड़ाव पुस्तकालय से जुड़े और अनुशासन बना रहे।
पुस्तकालय सुबह 9 बजे खुलता है और शाम को छह बजे तक नियमित रूप से खुलता है, लेकिन पुस्तकालयमें दो कक्ष ऐसे भी हैं रात्रि 9 बजे तक खुलते है जिनमे जरूरतमंद विद्यार्थी अध्यन करते हैं। इसके बाद वे इनका ताला बंद करके चाबी बालेश्वर त्यागी के आवास पर पहुंचा देते हैं। बालेश्वर त्यागी खुद भी रोजाना पुस्तकालय की विजिट करते हैं और एक-एक गतिविधि पर नजर रखते हैं।
कुछ करने की मजबूत इच्छा शक्ति हो तो सफलता अवश्य मिलती है: बालेश्वर त्यागी
जन सहयोग से पुस्तकालय का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे पूर्व मंत्री भाजपा नेता बालेश्वर त्यागी कहते हैं कि जिस हालात में उन्होंने पुस्तकालय शुरू किया था उस समय उनके सहयोगियों ने इस नेक काम में पूरा सहयोग किया । आज यहां पर देश के नौजवान अध्ययन में प्रतियोगिता की तैयारी कर अपना कैरियर बना रहे हैं जो उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि देता है । उनका कहना है कि इस दौरान कुछ अड़चनें भी आई लेकिन वह अपना काम निरंतरता से करते रहे जो आज पूरी तरह से सफल कही जा सकती हैं । आज पुस्तकालय में तमाम अत्याधुनिक पुस्तकें व अन्य संसाधन उपलब्ध हैं जिनमें विद्यार्थी आकर अध्ययन करते हैं । उन्होंने बताया कि 25वीं वर्षगांठ पर पुस्तकालय में अध्ययन व प्रतियोगिता की तैयारी कर महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करने वाले नोजवानों को सम्मानित किया जाएगा।