kinnow fruit Benefits and History: भारत में विटामिन सी से भरपूर खट्टे-मीठे फलों की कोई कमी नहीं है. इनमें से अधिकतर फल रस (Juice) से भरे हुए होते हैं. इन फलों में संतरा और मौसमी तो मशहूर हैं हीं, पहाड़ी फल माल्टा के अलावा अब किन्नू भी अपना नाम रोशन कर रहा है. यह संकर नस्ल का फल बाकी अन्य फलों की अपेक्षा जूस से तो भरपूर है, विटामिन सी भी इसमें काफी मात्रा में मौजूद होता है. शरीर के लिए बेहद उपयोगी है किन्नू.
नींबू परिवार से आते हैं कई फल
यह सभी फल नींबू परिवार के माने जाते हैं, लेकिन नींबू खट्टापन लिए हुए होता है. नींबू तो 12 महीने उपलब्ध रहता है, लेकिन इसके परिवार के अधिकतर फल सर्दी में ही अपने जलवे दिखाते हैं. असल में संतरा, मौसमी, माल्टा और किन्नू की बनावट और आकार को लेकर भ्रम की स्थिति रहती है, क्योंकि इनका आकार और बनावट लगभग एक जैसी होती है. इसके बावजूद इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. इनके गुणों और रस में भी कुछ फर्क होता है. मौसमी की पहचान तो यही है कि उसका छिलका हरापन लिए हुए होता है. इसे फांकों में विभाजित करना मुश्किल है और यह खट्टा अधिक और मीठा कम जूस के रूप में पहचानी जाती है. संतरे का आकार मध्यम होता है और इसका रंग केसरिया से लेकर लाइट ऑरेंज तक होता है. संतरे का छिलका काफी हल्का और पतला होता है, जिसे आसानी से छीला जा सकता है. यह सूरज की रोशनी में जल्दी पकने लगता है. इसके अंदर फांके होती हैं, जिन्हें आसानी से खाया या जूस निकाला जा सकता है.
देसी संतरे का विदेशी रूप है किन्नू
माल्टा एक पहाड़ी फल है, जिसका सर्वप्रथम उत्पादन चीन में किया गया था और भारत में इसका सबसे अधिक उत्पादन उत्तराखंड में किया जाता है. यह आकार में संतरे से थोड़ा बड़ा, थोड़े मोटे छिलके और गहरे नारंगी रंग का होता है. स्वाद में यह खूब खट्टा मीठा होता है. अगर हम यह कहें कि किन्नू इन सबका निचोड़ या सार है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. किन्नू का छिलका मोटा, टाइट और बेहद चमकदार होता है. रंग इन सबसे अधिक गहरा और संतरे की तुलना में ज्यादा रसीला होता है. इसमें बीज भी अधिक निकलते हैं. इसकी ज्यादातर उपज पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान और हरियाणा के भी कुछ इलाकों में होती है. किन्नू को देसी संतरे का विदेशी रूप कह सकते हैं. माल्टा पहाड़ी क्षेत्र में उगता है, जबकि किन्नू प्लेन क्षेत्रों में उग जाता है. असल में माल्टा और संतरे को मिलाकर ही किन्नू तैयार किया गया है, इसलिए इसमें जूस, मीठापन व विटामिन की भरमार है. इस फल का ताजे रस से लेकर कैंडी, जेली और वाइन तक में इस्तेमाल होता है.
पंजाब में सबसे अधिक उगाया जाता है यह फल
फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि किन्नू को 1800वीं शती के पहले दशक में सबसे पहले अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में बनाया और उगाया गया. चूंकि, इसमें संतरे के सभी गुण थे, लेकिन उससे अधिक मिठास और जूस था, इसलिए इसे हाथों-हाथ लिया गया. बस यह मान लीजिए कि किन्नू के जूस ने सबको अपना बना लिया. पश्चिमी देशों में इसके जूस का चलन खूब बढ़ा और यह पूरी दुनिया में विस्तार पाता रहा. भारत में किन्नू की खेती 1935-40 में शुरू हुई. तब पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, फैसलाबाद (अब पाकिस्तान) में इसकी संकर नस्ल बनाई गई, जो भारत के विभिन्न प्रदेशों की उगाई जाने लगी. भारत में यह सबसे अधिक पंजाब में उगाया जाता है. पंजाब में तो एक तरह से इस फल ने क्रांति ही ला दी थी. सर्दियों के दौरान अगर आप पंजाब का दौरा करेंगे तो लोकल व राष्ट्रीय राजमार्ग पर किन्नू का फल और जूस जगह-जगह बिकता दिख जाएगा.
पेट से जुड़ी समस्याओं में कारगर है किन्नू
किन्नू में भरपूर पोषण भी मौजूद होता है. एक आधुनिक जानकारी के अनुसार, एक मध्यम आकार के किन्नू में कैलोरी 47, कार्बोहाइड्रेट 12 ग्राम, प्रोटीन 0.7 ग्राम, वसा 0.3 ग्राम, फाइबर 2 ग्राम, विटामिन सी 26%, मैग्नीशियम 2.5%, पोटैशियम 3%, कॉपर 4%, आयरन लगभग 1% पाया जाता है. जानी-मानी डायटिशियन डॉ. अनीता लांबा के अनुसार, विटामिन सी से भरपूर किन्नू शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए किन्नू एक कारगर औषधि के रूप में काम करता है. यह मेटाबॉलिज्म को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करता है.
इस फल में खनिज लवणों का सममिश्रण है, इसलिए यह अम्लता को कम करने में मदद करता है. यह पुरानी कब्ज को दूर करने में मदद करता है. अगर सीने में जलन और एसिडिटी से पीड़ित हैं, तो किन्नू बहुत काम का फल है. यह भूख को भी काफी हद तक बढ़ाता है. इसके सेवन से शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं. स्किन के लिए भी किन्नू अच्छा माना जाता है. यह स्किन को चमकदार बनाता है. इसे सीमित मात्रा में खाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, लेकिन अधिक सेवन करने पर दांत खट्टे कर देगा. पेट संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं.