थायराइड हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो गले के ठीक सामने वाले हिस्से में, ट्रेकिआ (windpipe) के दोनों ओर तितली के आकार में मौजूद होती है। यह ग्रंथि मुख्य रूप से दो हार्मोन – थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) – का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा स्तर, वजन, तापमान और हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करते हैं।
थायराइड की समस्या क्यों होती है?
महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव, तनाव, अनियमित जीवनशैली, और पोषण की कमी हो सकते हैं। समय रहते थायराइड की पहचान और इलाज न किया जाए तो यह कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
थायराइड के दो प्रकार और उनके लक्षण
1. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
यह स्थिति तब होती है जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
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लगातार थकान और कमजोरी
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वजन बढ़ना
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त्वचा का रूखा हो जाना और बालों का झड़ना
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कब्ज रहना
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ठंड सहन न होना
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मूड में उतार-चढ़ाव, अवसाद
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महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता
2. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism)
इसमें थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाने लगती है। इसके लक्षण हैं:
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अचानक और तेज वजन घटना
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दिल की धड़कन तेज होना
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अत्यधिक पसीना आना
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घबराहट और बेचैनी
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नींद में कमी
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मासिक धर्म चक्र में गड़बड़ी
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भूख बढ़ना
थायराइड की जांच और इलाज
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लगातार महसूस हो रहा है, तो आपको जल्द से जल्द एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या जनरल फिजिशियन से संपर्क करना चाहिए।
डॉक्टर आपको थायराइड फंक्शन टेस्ट (T3, T4, TSH) करवाने की सलाह देंगे, जिससे यह पता चलेगा कि आपके थायराइड हार्मोन का स्तर कितना असामान्य है और कौन-सी स्थिति है — हाइपो या हाइपरथायरायडिज्म।
थायराइड भले ही एक छोटी सी ग्रंथि हो, लेकिन इसका शरीर की सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे नजरअंदाज करना कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है। सही समय पर पहचान और इलाज से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से है। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या या इलाज से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)