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स्वास्थ्य के पुराने दस्तावेज़ों से बीमारियों के सुराग

Date : 10-Mar-2023

 इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का अपना महत्व है, बशर्ते कि हम उनका सही तरह से विश्लेषण करें। हाल ही में किए गए ऐसे विश्लेषण से संकेत मिला है कि फ्लू व अन्य आम वायरसों के संक्रमण और अल्ज़ाइमर या पार्किंसन जैसे तंत्रिका-क्षय रोगों के बीच कुछ सम्बंध है।

वैसे तो हर्पीज़ वायरस के संक्रमण का सम्बंध अल्ज़ाइमर रोग से देखा गया है और एप्स्टाइन-बार वायरस संक्रमण और मल्टीपल स्क्लेरोसिस के बीच सम्बंध के भी सशक्त प्रमाण मिले हैं। लेकिन ताज़ा अध्ययन में सेंटर फॉर अल्ज़ाइमर रिलेटेड डिमेंशिया के क्रिस्टीन लेविन और उनके साथियों ने यह देखने की कोशिश की है कि क्या आम तौर पर वायरस संक्रमण और तंत्रिका-क्षय रोगों के बीच कोई सम्बंध है।

लगभग साढ़े चार लाख इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्डों की जांच के न्यूरॉन में प्रकाशित परिणामों से पता चला है कि वायरस संक्रमण और तंत्रिका-क्षय रोगों के बीच कम से कम 22 कड़ियां हैं और कई मामलों में तंत्रिका क्षय रोग का जोखिम संक्रमण के 15 वर्षों बाद भी देखा गया। वैसे फिलहाल इस सह-सम्बंध की कार्यप्रणाली की समझ नहीं बनी है।

टीम ने सबसे पहले तो 35,000 ऐसे लोगों के रिकॉर्ड देखे जिन्हें मस्तिष्क सम्बंधी कोई रोग था। तुलना के लिए उन्होंने 3,10,000 ऐसे लोगों के रिकॉर्ड की भी जांच की जिन्हें ऐसा कोई रोग नहीं था। ये सारे रिकॉर्ड उन्हें फिनजेन नामक डैटाबेस से प्राप्त हुए थे। इस जांच में टीम को संक्रमण और मस्तिष्क रोगों के बीच 45 उल्लेखनीय कड़ियां देखने को मिलीं। इसी बात को उन्होंने एक अन्य डैटाबेस - यूके बायोबैंक - से तुलना करके भी देखा। अंतत: उनके पास 22 कड़ियां शेष रहीं।

सबसे सशक्त कड़ी वायरस-जन्य मस्तिष्क ज्वर और अल्ज़ाइमर के बीच सामने आई। मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित व्यक्तियों को आगे चलकर अल्ज़ाइमर होने की संभावना 31 गुना ज़्यादा देखी गई। अन्य मामलों में सह-सम्बंध इतने सशक्त नहीं दिखे, हालांकि कुछ हद तक देखे गए।

इस अध्ययन की कुछ ज़ाहिर-सी सीमाएं भी हैं। पहली तो यह है कि सारे आंकड़े युरोपीय मूल के लोगों के हैं। इसके अलावा, दुनिया के अन्य इलाकों में ज़्यादा संक्रमित करने वाले वायरसों को भी इसमें शामिल नहीं किया जा सका है। बहरहाल, इस अध्ययन से कुछ संकेतक तो मिले हैं जिन पर आगे काम किया जा सकता है। 

 
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