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पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है - अज्ञात

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वायु प्रदूषण के कारण ,दुष्प्रभाव ,बचाव और होमियोपैथिक चिकित्सा

Date : 13-Jul-2023

 देश बायु प्रदूषण से जूझ रहा है । हवा का स्तर बार बार गंभीर श्रेणी में पहुंच रहा है और  बाताबरण  में लगातार बढ़ते प्रदूषण की बजह से आम जन मानस साँस से जुड़ी अनेक बिमारियों का सामना कर रहे हैं । बायु प्रदूषण  दिल ,फेफ़ड़ों , किडनी आदि समस्यायों से जूझ रहे मरीजों के लिए  जान लेबा साबित हो रहा है और बच्चों में भी साँस की अनेक बीमारियाँ देखने में आ रहीं है । बायु में  प्रदूषण अनेक तरह से पैदा होता है । दिवाली में बड़े स्तर पर पटाखों की बजह से  पुरे बाताबरण  की हवा जहरीली हो जाती है जिससे देश भर में प्रदूषण पर बहस छिड़ जाती है लेकिन इसकी बजाय सड़कों पर चलने बाले बाहनों , खनन ,तेज आंधी ,ईंट भटों की चिमनियों, जनरेटर  डीजल पम्प , वनों में आग और केमिकल उद्योगों से भी लगातार हवा जहरीली होती है लेकिन इनका प्रभाब स्थानीय स्तर पर ही होता है जिससे यह राष्ट्रीय बहस का हिस्सा नहीं बन पाते  जबकि सेहत के लिए काफी हानिकारक साबित होते है 

वायु प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले रोग-

1- एलर्जी- धूल ,धुआं, जहरीली गैसों एवं गंध से किसी को, किसी भी उम्र में असहिष्णुता संभव है। जो निम्नवत हैं

A- स्वसन तंत्र की एलर्जी

एलर्जिकल कफ एंड कोराइज़ा, एलर्जिकल राइनाइटिस, बार बार छींक आना नाक से पतला या गाढ़ा पानी निकलना, ब्रोंकाइटिस,ऐस्थमा, इंफाइसेमा,और न्यूमोनिया इत्यादि।

B-त्वचा संबंधी एलर्जी

एलर्जीकल डर्मेटाइटिस, अर्टिकेरिया, एग्जिमा, त्वचा का सूखा, रूखा और  धब्बेदार हो जाना, पानी भरे फफोले निकल आना, त्वचा और म्यूकस मेंब्रेन में दरारें पड़ जाना, और शोथ इत्यादि।

2 पाचन संबंधी गड़बड़ियां

बुखार के साथ उल्टी ,मिचली, पेट दर्द, दस्त लग जाना, भूख की कमी इत्यादि।

3  न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ियां

जहरीली गैसों के कारण विभिन्न प्रकार की तंत्रिका तंत्र संबंधी गड़बड़ियां उत्पन्न हो जाती हैं जिनमें चक्कर आना, बेहोशी किसी एक अंग या पूरे शरीर की लकवा ग्रस्तता, घ्राण और श्रवण शक्ति का समाप्त हो जाना, और सुस्ती बेचैनी इत्यादि।

4 नेत्र संबंधी रोग

आंखों में जलन और गड़न ,कंजेक्टिवाइटिस, दूर या नजदीक दृष्टि दोष ,आंख से पानी निकलना, पलकों का सूज जाना , मोतियाबिंद और ग्लाकोमा इत्यादि।

होमियोपैथिक औषधियां

वायु प्रदूषण और एलर्जी से बचाने के लिए

ऐमब्रोसिया ए 10 M,पोथास फोटिडा30,सालिडैगो वर्गा 200,सल्फर 1M, बैसिलिनम 1M, स्कूकम चक 30,सैंगुनेरिया कैन200,अमोनियम कार्ब 200,कैली बाईक्रोम, आर्सेनिक एल्बा,यूकेलिप्टस जी Q,नक्स वोमिका200, इपीकाक30, कार्बोवेज200, ब्यूफो राना 200, रोबीनिया30, ऐसपीडोस्पर्मा Q,ऐंटीपाइरिन 200,रेडियम ब्रोम 200 ,यूफ्रेशिया Q और 30 या मेन्था पिपराटा इत्यादि होम्योपैथिक औषधियां पूर्णतया कारगर सिद्ध होती हैं।

इनका होमियोपैथिक चिकित्सक की राय पर सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।

 

 

 
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