फर्रुखाबाद, (हि.स.)। आजकल की भागदौड़भरी जिन्दगी में मनुष्य खुद की तरफ कम ध्यान दे पाता है। और जब तक अपनी ओर ध्यान देता है तब तक वह कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो चुका होता है। उसकी जिन्दगी दवाइयों पर निर्भर हो जाती है। कुछ रोग ऐसे हो जाते हैं जिनमें उसे सारी उम्र दवा खानी पड़ती है। इसी प्रकार एक समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वो है थायरॉइड की बीमारी। यह कहना है सिविल अस्पताल लिंजीगंज के होम्योपैथी विभाग में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ. रुचि शुक्ला का।
डॉ. रुचि ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस का स्राव होते हैं। टी-3 यानी त्रिआईडोथायरॉनिन और टी-4 यानी थायरॉक्सिन मुख्य हॉर्मोन होते हैं और इन हॉर्मोन्स को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्रावित थायराइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन नियंत्रित करता है। टी-3 और टी-4 शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं। डॉ. रुचि ने बताया कि इन हॉर्मोंस के अलावा केल्सिटॉनिन नामक हार्मोन भी स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोंस शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं, जैसे- ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।
डॉ रुचि ने बताया कि थायराइड डिजीज कई प्रकार की हो सकती हैं। इनमें-
1-घेंघा - यह शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है। इसमें थायराइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है।
2- हाइपरथायरॉडिज्म- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का बहुत ज्यादा स्त्राव होता है।
3- हाइपोथायरॉडिज्म - इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का स्राव कम होता है।
4-ग्रेव्स डिजीज - इसमें थायरॉइड ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं।
5-थायराडाइटिस- इसमें समय बीतने के साथ सूजन के कारण हार्मोन बनने बंद हो जाते हैं l
6- थायराइड कैंसर- इसमें थायराइड ग्लैंड का कैंसर हो जाता है।
7-थायराइड नोड्यूल- इसमें थायराइड ग्लैंड में गांठ हो जाती हैं।
थायराइड के लक्षणः कब्ज होना,डिप्रेशन होना, शरीर का तापमान बढ़ना/ कम होना, भूख ज्यादा लगना, हाथों में कंपन होना, पसीना ज्यादा आना, बाल सफ़ेद होना एवं झड़ना, थकान होना, चिड़चिड़ाहट होना, खुजली होना, सांस लेने में तकलीफ होना, नर्वस होना, धड़कन बढ़ना या कम होना, वजन बढ़ना या कम होना, उच्च रक्तचाप, त्वचा रूखी होना, धड़कन कम होना, चेहरे पर सूजन रहना, महिलाओं में माहवारी से संबंधित तकलीफ होना, मसल्स में कमजोरी और अकड़न, जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन, नींद की समस्या होना।
कारणः थायरॉइड की समस्या दिन-प्रतिदिन लोगों में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं, जैसे-
1-हॉर्मोन्स की गड़बड़ी।
2-शरीर में आयोडीन की मात्रा सही होने के बाद भी नमक के माध्यम से शरीर में अतिरिक्त आयोडीन जाना।
3-किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण।
डॉ रुचि ने बताया कि थायरॉइड की समस्या होम्योपैथिक दवाई से कुछ समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाती है। यह एक जटिल रोग होता है। अत: स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें। कुशल होम्योपैथ की देखरेख में ही इलाज कराएं। होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श के किसी भी दवा का उपयोग न करें।
हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रपाल