श्रीनगर, 07 फरवरी । लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी जीओसी-इन-सी उत्तरी कमान ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर में नार्काे-आतंकवाद में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। सेना भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
बीबी कैंट श्रीनगर में अलंकरण समारोह के पहले खंड में उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तरी कमान तत्परता और मनोबल की उच्च स्थिति में है। लगातार विकसित हो रहे खतरों और चुनौतियों का सामना कर रही है।
लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में सुरक्षा की स्थिति इलाके और परिचालन गतिशीलता में विशेष रूप से उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर विभिन्न विरोधियों से कई चुनौतियों का सामना करती है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्र की लोकतांत्रिक परंपराओं को बरकरार रखते हुए भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है और हमेशा क्षेत्र के लोगों की भलाई के लिए काम करेगी। पिछले दो वर्षों ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, गलवान संघर्ष और कोविड-19 की नई चुनौतियों को सामने लाया गया है। उन्होंने कहा कि सेना ने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया और दृढ़ता से इन पर सफलता हासिल की है।
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर स्थिति स्थिर बनी हुई है और संघर्ष विराम की समझ बनी हुई है। घुसपैठ के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए एक बहुत सख्त निगरानी और एक मजबूत प्रौद्योगिकी सक्षम बहु-स्तरीय काउंटर घुसपैठ ग्रिड को बनाए रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि संघर्षविराम उल्लंघन, घुसपैठ की कोशिशों या दुश्मन द्वारा किए गए किसी भी अन्य दुस्साहस से दृढ़ता से निपटा जाएगा। पिछले साल घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम किया गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में नार्काे-आतंकवाद में चिंताजनक वृद्धि हो रही है क्योंकि पाकिस्तान अब नार्काे-आतंकवाद को अपने छद्म युद्ध में एक नए उपकरण के रूप में उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में ड्रोन के माध्यम से ड्रग्स के साथ-साथ हथियारों को भेजने की दोहरी रणनीति को नियोजित किया जा रहा है ताकि यहां पर सामाजिक ताने-बाने को भंग करके अशांति फैलाई जा सके। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की सीमा पार से तस्करी आतंकवाद को सहायता प्रदान करती है। सुरक्षा बल दुश्मनों की इस रणनीति के लिए खिलाफ डटकर खड़े हैं और खतरे को रोकने के लिए काउंटर ड्रोन उपाय शुरू कर चुके हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा ध्यान सभी हितधारकों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर, शांति स्थापित करने और विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने के लिए हमारे खुफिया सेटअप को मजबूत करने पर है। एलएसी की स्थिति पर उन्होंने कहा कि यथास्थिति को एकतरफा बदलने के चीनी प्रयासों के लिए सेना की प्रतिक्रिया भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा एक तेज, निडर और समन्वित कार्रवाई थी। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिकूल आक्रामक डिजाइन या प्रयास का निश्चित रूप से बलों की उचित मुद्रा और तीनों सेवाओं के बीच पूर्ण तालमेल के साथ एक मजबूत इरादे से मुकाबला किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनयिक और परिचालन स्तर पर एलएसी की स्थिति को हल करने के उपाय भी साथ-साथ चल रहे हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भौतिक गश्त और तकनीकी माध्यमों का वर्चस्व है और हमारी क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की जा रही है।