ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण, COP30 और वैश्विक स्वास्थ्य पर सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की दृढ़ जलवायु प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "भारत के लिए जलवायु न्याय कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है।"
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जहां कुछ देश पर्यावरण को केवल आंकड़ों के रूप में देखते हैं, वहीं भारत के लिए यह उसकी सांस्कृतिक चेतना और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और इन दोनों को संतुलित रूप से संरक्षित करना आवश्यक है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स को एक नया दृष्टिकोण मिलेगा, खासकर दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संदर्भ में। उन्होंने भारत की विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें शामिल हैं:
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अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
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आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure)
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जैव ईंधन गठबंधन
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बिग कैट मिशन
इन पहलों के माध्यम से भारत ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास में अपनी अग्रणी भूमिका को दर्शाया है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बोलिविया के राष्ट्रपति लुइस एर्से कैटाकोरा और उरुग्वे के राष्ट्रपति यामांडू ओर्सियन के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी कीं।
ब्रिक्स नेता अब एक नई साझेदारी की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझा प्रयास करना है।
प्रधानमंत्री मोदी की 8 जुलाई को ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में राजकीय यात्रा का कार्यक्रम भी है। यह यात्रा विशेष है क्योंकि 57 वर्षों के अंतराल के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री ब्राजील की राजकीय यात्रा पर जा रहा है। भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने जानकारी दी कि इस अवसर पर चार सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होंगे, जो आतंकवाद विरोध, गोपनीय सूचनाओं की साझेदारी, अक्षय ऊर्जा और कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देंगे।