भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के हालिया प्रस्ताव पर मतदान से खुद को दूर रखा। भारत ने कहा कि बिना नई और लक्षित पहलों के "जैसा पहले होता रहा" वैसा ही काम करने से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अफगान लोगों के लिए अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने बताया कि भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के विरुद्ध समन्वित प्रयासों को निर्देशित करने का आह्वान किया ताकि अफगान धरती आतंकवादी गतिविधियों के लिए शोषित न हो।
यूएनजीए ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन, बिगड़ते मानवीय संकट, लौटने वालों की बढ़ती संख्या और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की गई है।
हरीश ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और तालिबान द्वारा नियुक्त अफगान विदेश मंत्री के बीच हाल ही में हुई बातचीत का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान की ओर से 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले की कड़ी निंदा का स्वागत किया है और अफगानिस्तान के साथ "दीर्घकालिक मित्रता और विशेष संबंध" पर आधारित अपने दृष्टिकोण को दोहराया।
उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ सक्रिय बातचीत कर रहा है। साथ ही, भारत द्वारा अफगानिस्तान को दी जा रही मानवीय सहायता के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी।