अंटार्कटिका में 40 साल बाद दिखा विशाल छेद, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान - | The Voice TV

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अंटार्कटिका में 40 साल बाद दिखा विशाल छेद, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान -

Date : 25-Apr-2025

अंटार्कटिका की बर्फीली सतह में हाल ही में एक बार फिर से एक विशाल छेद देखने को मिला है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए हैं। यह छेद अंटार्कटिका की सर्दियों की समुद्री बर्फ में अचानक बना और धीरे-धीरे यह आकार में इतना बड़ा हो गया कि इसका क्षेत्रफल स्विट्जरलैंड जितना हो गया।

यह छेद माउड राइज़ (Maude Rise) नाम के एक डूबे हुए समुद्री पठार के ऊपर, समुद्र तट से सैकड़ों मील दूर स्थित था। नासा के वैज्ञानिकों ने जब पहली बार इसे देखा तो वे भी यकीन नहीं कर पाए कि यह वाकई में क्या है।

पहले भी दिखाई दिया था यह रहस्यमयी छेद

1970 के दशक में जब पहली बार रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए, तब वैज्ञानिकों ने 1974 से 1976 के बीच माउड राइज़ पोलिन्या (Maude Rise Polynya) को नियमित रूप से देखा था। उस समय वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि यह हर साल बनता रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई वर्षों तक यह नहीं दिखा और फिर 2017 में यह छेद अचानक दोबारा उभर आया।

क्या है इस रहस्य का कारण?

गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक फैबियन रोक्वेट ने बताया कि माउड राइज़ के नीचे मौजूद लगभग 4,600 फुट ऊंचे समुद्री पर्वत (समुद्री माउंटेन) ने इस पोलिन्या के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वैज्ञानिकों के अनुसार, वेडेल सागर में मौजूद एक समुद्री धारा वेडेल गाइर (Weddell Gyre) की गति बढ़ने लगी, जिससे गर्म और नमकीन पानी की गहरी परत सतह के करीब आ गई। इससे बर्फ नीचे से पिघलने लगी। यह प्रक्रिया अपवेलिंग कहलाती है, जो सतह की बर्फ को कमजोर कर देती है।

प्राकृतिक प्रक्रियाओं का मिला-जुला असर

शोध के अनुसार, केवल अपवेलिंग ही जिम्मेदार नहीं थी। समुद्री तूफानों (Tropical Storms) के कारण हवाएं बर्फ को बाहर की ओर ले गईं, जिससे नमकीन पानी माउड राइज़ की ओर बहने लगा। इसके अलावा, एटमॉस्फेरिक रिवर (Atmospheric River) जैसी वायुमंडलीय प्रक्रियाएं भी सक्रिय थीं, जो गर्मी को ऊपर से जोड़ती हैं।

इस पूरे जटिल मौसमीय और समुद्री घटनाओं के मेल को वैज्ञानिकों ने एकमैन परिवहन (Ekman Transport) कहा है, जो इस रहस्यमयी छेद बनने की प्रक्रिया में अंतिम भूमिका निभाता है।

क्या है आगे का खतरा?

वैज्ञानिक मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं भविष्य में और अधिक सामान्य हो सकती हैं। ये छेद समुद्री बर्फ की स्थिरता और पूरी अंटार्कटिक पारिस्थितिकी प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

 

 
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