भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को रेगुलेट करने और इसके दुरुपयोग को रोकने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने नए नियमों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर AI से बने या ऑल्टर किए गए फोटो, वीडियो और अन्य सभी प्रकार के कंटेंट पर स्पष्ट लेबल लगाया जाए।
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, AI कंटेंट की पहचान कराने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर होगी। यदि कोई यूजर इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो कंपनियां ऐसे अकाउंट्स को फ्लैग कर सकती हैं। नियम लागू होने के बाद, AI से जनरेट या ऑल्टर किए गए कंटेंट पर इसकी जानकारी वाला लेबल होना अनिवार्य होगा।
लेबलिंग के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की गई हैं। सोशल मीडिया कंपनियों को AI कंटेंट पर स्पष्ट और आसानी से नजर आने वाला AI वाटरमार्क लगाना होगा। यह वाटरमार्क कुल कंटेंट के 10 प्रतिशत हिस्से से अधिक का नहीं होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई AI जनरेटेड वीडियो 10 मिनट का है, तो उसमें कम से कम एक मिनट तक AI वाटरमार्क दिखाई देना चाहिए। अगर कंपनियां इस नियम का पालन नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
सरकार ने नए नियमों को लेकर इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स से 6 नवंबर तक सुझाव देने की मांग की है। केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंटरनेट पर डीपफेक कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में नए नियम यूजर्स, कंपनियों और सरकार की जिम्मेदारी बढ़ाएंगे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार ने AI कंपनियों से बातचीत की है और उनके अनुसार, मेटाडेटा के जरिए AI कंटेंट की पहचान की जा सकती है। अब डीपफेक कंटेंट की पहचान और रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी कंपनियों पर होगी। नए नियमों के तहत कंपनियों को AI कंटेंट को अपनी कम्युनिटी गाइडलाइंस में शामिल करना भी अनिवार्य होगा।
