फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्थित लॉन्च कॉम्प्लेक्स 36 से ब्लू ओरिजिन का बहुप्रतीक्षित न्यू ग्लेन रॉकेट प्रक्षेपण 9 नवंबर को खराब मौसम के कारण रोक दिया गया। घने क्यूम्यलस बादलों और असुरक्षित मौसम परिस्थितियों के चलते कंपनी को यह निर्णय लेना पड़ा। यह रॉकेट नासा के दो एस्केपेड ऑर्बिटर लेकर मंगल ग्रह की ओर रवाना होने वाला था, जिनका उद्देश्य ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र और सौर वायु के प्रभावों का अध्ययन करना है।
321 फीट ऊंचे इस भारी रॉकेट के लिए मौसम सुरक्षा नियमों के तहत स्पष्ट वायुमंडलीय स्थितियां अनिवार्य हैं। इसी कारण, 88 मिनट की निर्धारित प्रक्षेपण अवधि के दौरान मिशन रद्द करना पड़ा। ब्लू ओरिजिन के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि “मौसम संबंधी अनियमितताओं के कारण उड़ान असुरक्षित हो गई थी।”
प्रक्षेपण रद्द होने का एक और कारण अमेरिकी संघीय सरकार के आंशिक शटडाउन के चलते एफएए द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध भी रहे। इन नियमों के तहत दिन के समय वाणिज्यिक प्रक्षेपण सीमित कर दिए गए हैं। कंपनी ने 10 और 11 नवंबर के लिए बैकअप लॉन्च स्लॉट मांगे थे, लेकिन अब 12 नवंबर को नया लॉन्च अवसर तय किया गया है।
यह देरी नासा के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि एस्केपेड मिशन को एक विशिष्ट मंगल स्थानांतरण विंडो के भीतर भेजना आवश्यक है ताकि यात्रा समय और ईंधन दोनों को अनुकूलित किया जा सके।
एस्केपेड मिशन क्या करेगा?
एस्केपेड (Escape and Plasma Acceleration and Dynamics Explorers) नासा का पिछले पाँच वर्षों में पहला मंगल मिशन है। इस मिशन के प्रमुख उद्देश्य हैं:
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सौर वायु द्वारा मंगल के वायुमंडल के क्षरण की प्रक्रिया को समझना।
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अंतरिक्ष मौसम का ग्रह पर प्रभाव जानना।
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मंगल के कमजोर चुंबकीय क्षेत्र और आवेशित कणों की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन करना।
रॉकेट लैब द्वारा निर्मित ये दोनों उपग्रह 80 मिलियन डॉलर से कम की लागत में बनाए गए हैं, जिससे यह नासा के सबसे कम बजट वाले ग्रहीय मिशनों में से एक बन गया है।
न्यू ग्लेन: ब्लू ओरिजिन की भारी-भरकम उम्मीद
यह उड़ान न्यू ग्लेन रॉकेट की दूसरी मिशन उड़ान मानी जा रही थी। यह 321 फीट ऊँचा रॉकेट स्पेसएक्स के फाल्कन हेवी से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया गया है।
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इसमें कई BE-4 इंजन लगे हैं।
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यह भारी पेलोड को गहरे अंतरिक्ष तक ले जाने में सक्षम है।
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इसका पहला चरण पुनः उपयोग योग्य है, जो ब्लू ओरिजिन को लागत कम करने में मदद करेगा।
एक सफल प्रक्षेपण ब्लू ओरिजिन के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता था, लेकिन अब कंपनी और नासा दोनों 12 नवंबर को बेहतर मौसम और एफएए की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदि उस दिन भी परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं रहीं, तो मिशन को लंबी देरी का सामना करना पड़ सकता है।
