भारत की संपन्नता और समृद्धि बढ़ने से अवैध घुसपैठ और आतंकवाद का संकट बढ़ने की आशंका | | The Voice TV

Quote :

पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है - अज्ञात

Editor's Choice

भारत की संपन्नता और समृद्धि बढ़ने से अवैध घुसपैठ और आतंकवाद का संकट बढ़ने की आशंका |

Date : 22-Sep-2023

भारतीय उपमहाद्वीप के कोई दर्जन भर देशों में अकेला भारत है जिसकी संपन्नता और समृद्धि बढ़ रही है । इस प्रगति से पूरी दुनियाँ में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है। लेकिन इससे भारतीय समाज और सरकार दोनों को अतिरिक्त सावधानी बरतना होगी । भारत की समृद्धि से आकृषित होकर पड़ौसी देशों से कुछ लोग घुसपैठ और ईर्ष्यालु तत्वों द्वारा भारत की प्रगति में अवरोध पैदा करने केलिये आतंकवाद या अशांति फैलाने का षड्यंत्र भी किया जा सकता है ।

भारत की चंद्रयान और जी-20 समागम की सफलता के बीच भारत में तीन घटनाएँ देखने को मिलीं। एक गुजरात प्राँत के सूरत में एक बंगलादेशी समूह घुसपैठ करते पकड़ा गया दूसरा कश्मीर में आतंकवादी हमला और, तीसरा कनाडा में आतंकवादी की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगा । ये तीनों घटनाओं से लोगों ध्यान प्रगति से थोड़ा कम हुआ और पूरा सरकारी तंत्र इनसे निबटने के काम में लगा । इसलिए इन घटनाओं को सामान्य नहीं लिया जा सकता । पिछले कुछ वर्षों से भारत ने प्रगति की रफ्तार पकड़ी है वह साधारण नहीं है । एक ओर दुनियाँ के अधिकांश देशों की अर्थ व्यवस्था गड़बड़ा रही है इसमें पाकिस्तान नेपाल जैसे ही नहीं अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी घबराहट है । विश्व की इसी ऊथल पुथल के चलते भारत प्रगति करके विश्व की पाँचवी बड़ी अर्थ व्यवस्था बना है ।
 
भारत ने प्रगति केवल आर्थिक  ही नहीं, बहुआयामी है । अर्थ व्यवस्था में सुधार हुआ, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है, विज्ञान और तकनीक प्रगति का इससे बढ़ा उदाहरण क्या होगा कि भारत का अंतरिक्ष अभियान सबसे सस्ता होता है और चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर भारतीय यान का पहुँचने की सफलता, तथा रक्षा उत्पादन में निर्यात की स्थिति बढ़ना आदि बड़ी उपलब्धियाँ हैं ।  इस प्रगति यात्रा से ही यह आश बंधी है कि भारत अगले दो वर्षों में विश्व की तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था बन सकता है । इस प्रगति के साथ दिल्ली में संपन्न जी-20 देशों के समागम में भारत की जो साख बढ़ी वह भी सबके सामने है । ये उपलब्धियाँ एक ओर जहाँ समस्त भारत वासियों को प्रसन्नता का अवसर दे रहीं हैं वहीं आशंकित संकट से अधिक जागरुक और सावधान रहने की भी आवश्यकता है । भारत की इस बहुमुखी प्रगति से दो प्रकार के संकट हो सकते हैं। एक घुसपैठ बढ़ने और दूसरे भारत अशांति और आतंकवाद फैला कर इस प्रगति में अवरोध उत्पन्न करना । इसके उदाहरण दिखने भी लगे ।
 
चन्द्रयान और जी 20 की सफलता के तुरन्त बाद भारत में तीन घटनाएँ एक साथ घटीं। पहली सूरत में बंगलादेश से अवैध घुसपैठ करके आये नागरिक पकड़े गये दूसरी मार्क्सवादी विचारों से संबंधित एक संस्था ने सनातन धर्म को समाप्त करने का सम्मेलन आयोजित करके आंतरिक तनाव पैदा करने का प्रयास किया और तीसरा कश्मीर में एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ । इन तीनों घटनाओं को भारत की बढ़ती प्रगति से अलग करके नहीं देखा जा सकता । 
 
भारत के जितने भी पड़ौसी देश हैं उन सबकी अर्थ व्यवस्था कमजोर हो रही है । उन देशों में मँहगाई आसमान छू रही है । एक प्रकार से बेहाली की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें पाकिस्तान, नेपाल, श्री लंका, बंगलादेश, म्यांमार आदि देश हैं। इन देशों के नागरिकों का भारत में आना कोई नई बात नहीं है । इन देशों के करोड़ो नागरिक भारत में घुस आये हैं। नेपाल, बंगलादेश और म्यांमार से आकर भारत में बसने वालों की बस्तियाँ बस गईं हैं। इनमें अधिकांश घुसपैठ करके ही आये हैं। अब उनके देशों बढ़ता संकट और भारत की खुशहाली से आकृषित होकर यह घुसपैठ और बढ़ सकती है । इसकी झलक पिछले हफ्ते गुजरात के सूरत में दिखी । पुलिस ने छै बंगलादेश के नागरिकों को पकड़ा है। इनके पास फर्जी दस्तावेज थे । इनमें आधार कार्ड, राशनकार्ड, मतदाता पहचान पत्र थे । पकड़े जाने पर उन लोगों ने बहुत साफ शब्दों में कहा था कि वे अपने देश की बदहाली से तंग आकर भारत आये हैं। अब पुलिस पता लगा रही है कि उनके पास मिले ये दस्तावेज कहाँ तैयार हुये हैं। बंगलादेश से ही साथ लेकर आये अथवा भारत की धरती पर उपलब्ध कराये गये । सूरत में पकड़े गए इन लोगों केवपास मिले ये दस्तावेज भारत में बने हों या बंगलादेश में बने हों पर इतना तय है कि भारत में घुसपैठ कराने के लिये वर्षों से गिरोह काम कर रहे हैं। तभी तो भारत के अधिकांश नगरों में बांग्लादेशियों और रोहिंगाओं की बस्तियाँ बस गईं है और उनमें लगातार वृद्धि हो रही है । बंगलादेश और म्यांमार से आने वालों का तथ्य उजागर है लेकिन पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ का पता नहीं चलता । लेकिन जिस प्रकार कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार आदि प्रदेशों में कुछ स्थानों की बस्तियाँ स्वरूप ले रहीं हैं उससे आशंका बलवती होती है । भारत में इस प्रकार की घुसपैठ का सिलसिला तो स्वतंत्रता के साथ ही हो रहा है ।
 
कश्मीर का जो हिस्सा भारत से टूटा वह योजना पूर्वक हुई घुसपैठ के कारण ही तो टूटा था । भारत में यह घुसपैठ दोनों प्रकार से हो रही है । बँटवारे के समय लाखों परिवार ऐसे थे जिनसे कुछ सदस्य पाकिस्तान चले गये और कुछ सदस्य भारत में रह गये । जो भारत में रहे उन्होंने अपने परिजनों के भारत लौटने में गुपचुप सहायता की उनके कागजात तैयार करा लिये । दूसरे कुछ गिरोह मैदान में आये जो योजना पूर्वक घुसपैठ कराते हैं। घुसपैठ कराने वाले गिरोहों का नेटवर्क कितना तगड़ा है, वे कितने प्रभावशाली हैं इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि बंगलादेश से भारत में घुसपैठ करके आने वाले असम में विधायक और मंत्री भी बने हैं। पाकिस्तान और बंगलादेश से भारत आने का सिलसिला कभी थमा ही नहीं। असम, बंगाल और बिहार ही नहीं कश्मीर और नेपाल के रास्ते से होने वाली घुसपैठ क्या किसी छुपी है ? समन्दर के रास्ते घुसपैठ होती है सो अलग। अपनी रोटी रोजगार की तलाश में आने वाले सामान्य नागरिकों के अतिरिक्त इन्हीं रास्तों से आतंकवादी भी भारत आते हैं। जिस प्रकार भारत में घुसपैठ कराने वाले तत्व सक्रिय हैं उसी प्रकार आतंकवादियों के भी गुप्त कनेक्शन हैं। यह तथ्य पिछले दिनों "टेरर फंडिंग" के लिये देश भर में पड़े छापों और पकड़े गए लोगों से उजागर हुआ । सामान्य जनों को घुसपैठ में सहायता करने वाले गिरोहों का उद्देश्य पैसा कमाना है तो आतंकवादियों की मदद करने वाले पैसा कमाने के साथ भारत में अशांति भी पैदा करना चाहते हैं। 
 
भारत में प्रगति और प्रतिष्ठा वृद्धि के समाचार दोनों पक्षों को प्रोत्साहित करेगी । रोटी रोजगार के लिये भारत में घुसपैठ करने वालों को भी और भारत की प्रगति से ईर्ष्या करने वालों को भी । इसकी झलक सितम्बर में घटीं इन तीनों घटनाओं में मिलती है । प्रगति से ईर्ष्या करने वाले समाज में असंतोष और अविश्वास फैलाने के लिये उन अति महत्वकांक्षी लोगों को अपना मोहरा बना सकते हैं जो सत्ता प्राप्त करने की लालसा के अतिरेक में राजनीति हित और राष्ट्र हित में अंतर करना भूल जाते हैं। घुसपैठ कराने वाले पैसे के लिये और आतंकवाद फैलाकर भारत की सकारात्मक क्रियाशीलता पर आघात करना चाहते हैं। सुरक्षा और सावधानी का सिद्धांत समाज में केवल प्रगतिशील परिवारों पर ही लागू नहीं होता कि वे चार लुटेरों और ईर्ष्या करने वालों से सावधान रहें।  यह देशों पर भी लागू होता है । अतीत में भारत पर हुये हमलों, लूट और विध्वंस का कारण भी भारत की प्रगति और समृद्धि रही है । इसलिए इतिहास ही नहीं स्वतंत्रता के बाद घटीं घटनाओं से भी से सबक लेकर समाज और सरकार दोनों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी । ताकि भविष्य में भारत अपनी खोई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर सके ।
 
लेखक - रमेश शर्मा 
 
 

 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement