महिलाओं की भागीदारी को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने और महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। महिला दिवस के मौके पर दुनियाभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना, समाज में पुरुषों के बराबर सम्मान, कार्य के समान अवसर प्रदान करना है।
इतिहास
शुरूआती साल
1975: संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर IWD को मान्यता दी और इसे सालाना मनाना शुरू किया।
आईडब्ल्यूडी 2024 थीम
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 अभियान का विषय "इंस्पायर इंक्लूजन" है। जब हम दूसरों को महिलाओं के समावेशन को समझने और महत्व देने के लिए प्रेरित करते हैं, तो हम एक बेहतर दुनिया का निर्माण करते हैं। और जब महिलाओं को स्वयं शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है, तो अपनेपन, प्रासंगिकता और सशक्तिकरण की भावना आती है। IWD 2024 इंस्पायरइन्क्लूजन अभियान का लक्ष्य सामूहिक रूप से महिलाओं के लिए अधिक समावेशी दुनिया बनाना है।
महिलाओं के अधिकार
1-समान मेहनताना का अधिकार
इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक जब सैलरी, पे या मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है.
2-दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा
भारतीय कानून के मुताबिक अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है. इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है |
3-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है. पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते. आरोपी को 3 साल गैर-जमानती कारावास की सजा हो सकती है या जुर्माना भरना पड़ सकता है|
4-मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार
मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि ये उनका अधिकार है, मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 6 महीने तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वह फिर से काम शुरू कर सकती है |
5- कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके अधिकार 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें, गर्भधारण और प्रसव के पूर्व पहचान करने की तकनीक (लिंग चयन पर रोक ) अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है |
6- मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार
बलात्कार की शिकायत हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के लिए यह जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करें |
7-रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार
किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते. अपवाद में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेड के आदेश को रखा गया है. कानून यह भी कहता है कि किसी से अगर उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए |
8- गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए |
9- संपत्ति पर अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुस्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है |
10-जीरो एफआईआर का अधिकार
किसी महिला के खिलाफ अगर अधिकार होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो |