डोनेशन लेना हर राजनीतिक पार्टी का हक, फिर क्यों भाजपा को लेकर खड़ा किया जा रहा विवाद
Date : 21-Mar-2024
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
देश भर में इस समय 'इलेक्टरोल बॉन्ड' पर राजनीति हो रही है। भारतीय जनता पार्टी को घेरने के लिए कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इसे चंदे में सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। किंतु यह जानकर बड़ा ही आश्चर्य होता है कि जो सत्ता में नहीं हैं, उन्हें सत्ताधारी भाजपा से अधिक संयुक्त राशि मिली है। उसके बाद भी ये राजनीतिक दल पारदर्शिता की बात कर रहे हैं और हल्ला मचा रहे हैं!
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को जो जानकारी दी है उसके अनुसार 1 अप्रैल 2019 से इस साल 15 फरवरी के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। इनमें राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड को कैश कराया। जिसमें भाजपा को 6,060 करोड़ और अन्य राजनीतिक पार्टियों को 14,000 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले हैं । इनमें प्रमुख तौर पर टीएमसी (1,609 करोड़ रुपये), कांग्रेस (1,421 करोड़ रुपये), बीआरएस को 1214 करोड़ रुपये, बीजेडी को 775 करोड़ रुपये, डीएमके को 639 करोड़ रुपये मिले हैं।
इन राजनीति पार्टियों के अतिरिक्त वाईएसआर कांग्रेस को 337 करोड़, टीडीपी को 218.90 करोड़, शिवसेना 159.40 करोड़, आरजेडी 72.50 करोड़, आम आदमी पार्टी 65.50 करोड़, जनता दल सेक्युलर 43.50 करोड, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा 36.50 करोड़, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी 30.50 करोड़, जनसेना पार्टी 21 करोड़, समाजवादी पार्टी 14.10 करोड़, जेडीयू 14 करोड़, जेएमएम 13.50 करोड़, शिरोमणि अकाली दल 7.30 करोड़, एआईएडीएमके 6.10 करोड़, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट 5.50 करोड़, राष्ट्रीय जनता दल 01 करोड़, महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी 60 लाख, जेके नेशनल कॉन्फ्रेंस 50 लाख, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र प्रदेश 50 लाख रुपए का चंदा विविन्न कंपनियों एवं लोगों के माध्यम से मिला है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय दलों को इसमें 5 हजार 221 करोड़ रुपए मिले हैं ।