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होली और होलिका दहन

Date : 24-Mar-2024

 होली और होलिका दहन 

 
होली वसंत ऋतु की शुरुआत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, 2 दिन का यह त्यौहार हिंदू धर्म में सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक महत्व रखता है| फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का का भी त्यौहार है | इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। मान्यता है की घर में सुख - शांति और समृद्धि के लिए होली की पूजा की जाती है | 
 
इस अवसर की विशेषता रंगों और पानी का भरपूर उपयोग है, जो उत्सव के उत्साह में डूबे सभी लोगों के लिए एक सुखद अनुभव सुनिश्चित करता है
 
शुभ मुहूर्त 
 
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
होलिका के अगले दिन होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी। 
 
पौराणिक कथा 
 
इस दिन से हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद और होलिका (Holika) की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. माना जाता है एक समय में हिरण्यकश्यप नामक राजा रहा करता था जो भगवान विष्णु का विरोधी था. लेकिन, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु को घनिष्ठ भक्त था. वह दिन-रात श्रीहरि की पूजा करता रहता है. हिरण्यकश्यप को इस बात से परेशानी थी और इसीलिए वह प्रह्लाद का वध करना चाहता था. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की बहुत कोशिश की लेकिन हर बार ही असफल रहा. एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद (Prahlad) का वध करने के लिए कहा. हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग की चिता पर बैठ जाए क्योंकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था. लेकिन, भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका आग की लपटों से भस्म हो गई. इसके बाद से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है | 
 
होलिका दहन पूजा की विधि
 
होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है।
स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
 
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