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किसी भी व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का ज्ञान उसके आचरण से होता हैं।

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प्रेरक प्रसंग :- स्वाभिमान

Date : 02-Apr-2024

 

एक दिन जयसिंह ने बातचीत के दौरान छोटी रानी से कहा,''तुम्हारे वस्त्रों और आभूषणों  से तो नगर की साधारण स्त्रियाँ भी अच्छे वस्त्रादि पहनती हैं | तुम तो उनसे भी हीन मालूम पड़ती हो |'' किन्तु रानी मौन ही रही | उसने उसे अनसुना कर दिया | इससे राजा को गुस्सा आ गया और उसने एक काँच का टुकड़ा उठाकर रानी के वस्त्र फाड़ने के लिए हाथ बढ़ाया | यह देख रानी का स्वाभिमान जाग उठा | उसने फ़ौरन राजा के म्यान की तलवार निकालकर आवेशपूर्ण शब्दों से कहा,''स्वामी, मैंने जिस वंश में जन्म लिया है, वह इस प्रकार के उपहास को कदापि सहन नहीं कर सकता | यदि आपने पुनः कभी मेरा अपमान करने की चेस्टा की, तो उसका परिणाम अच्छा न होगा | आपको मालूम हो जायेगा कि आंमेर के राजकुमार  काँच का टुकड़ा चलने में उतने प्रवीण नहीं होते जितनी प्रवीण कोटा की राजकुमारियाँ तलवार चलने में होती हैं,|'' राजा जयसिंह की भयभीत मुद्रा देखकर वह आगे बोली,''कोटावंश की किसी कन्या का भविष्य में कभी भी अपमान न हो इसीलिए मुझे ऐसा मजबूरन करना पड़ा है |''
 
 
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