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पापमोचनी एकादशी

Date : 05-Apr-2024

हिन्दू धर्म में प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है | हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है |मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।

पापमोचनी हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी मानी गई है। इस दिन श्रीहरि का पूजन, उनके मंत्रों का जाप, पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करने से परिवार का हर सदस्य पापों से मुक्ति पाता है 

पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 4 अप्रैल को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 5 मार्च को दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगी| 

 

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक चैत्ररथ सुंदर वन था, जहां च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे | एक दिन एक अप्सरा उस वन से गुजरी| उस अप्सरा का नाम मंजुघोषा था. अप्सरा ने जब मेधावी को देखा तो वह उन पर मोहित हो गई |अप्सरा मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती थीं लेकिन लाख प्रयास करने के बाद भी वह सफल रही | जब वह उदास हो गई तो कामदेव ने अप्सरा की मंशा को समझ कर उसकी मदद की | कामदेव की मदद से अप्सरा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया | 

इधर अप्सरा के इस प्रयास से मेधावी भगवान शिव की तपस्या को भूल गए | कई वर्ष बीत जाने के बाद जब उन्हें अपनी तपस्या की याद आई तो उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया | जब अप्सरा ने विनती की तो मेधावी ने पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया और कहा कि यदि विधि पूर्वक इस व्रत को करती हो तो तुम्हारे सारे पाप दूर हो जाएंगे | तब अप्सरा ने कहे अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा और अपने पाप दूर किए | इधर मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी व्रत करके अपने पापों से मुक्ति पाई | 




व्रत की पूजा विधि और लगाएं ये भोग

पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें | अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें |भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं. इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं | भगवान विष्णु को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें |पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें |अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें | 

श्रीहरि विष्णु को खीर, हलवा, पंचामृत बेहद प्रिय है। पापमोचनी एकादशी के दिन विष्णु जी को इन चीजों का भोग लगाने से पूजा सफल होती है वह जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की परेशानियों का अंत होता है।

विष्णु जी को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करें -  त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।


 

 

 
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