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"आदिशक्ति का 52 वाँ शक्तिपीठ जबलपुर की बड़ी खेरमाई"

Date : 15-Apr-2024

आप अभी तक 51 शक्तिपीठों के माहात्म्य से सुपरिचित हैं, आईये 52 वें गुप्त शक्तिपीठ की स्थापना और महिमा के इतिहास को जानते हैं। तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों का वर्णन है, वहीं देवी पुराण में आदिशक्ति के 52 वें गुप्त शक्तिपीठ का वर्णन है जो जबलपुर में बड़ी खेरमाई के रुप में प्रतिष्ठित है। 

आदिशक्ति  का सर्वव्यापीकरण विशेष कर महाकौशल , बुंदेलखंड और विंध्य में खेरमाई के रूप में हुआ है जो गोंडवाना में खेरदाई के रुप में शिरोधार्य है और जबलपुर के मंदिरों और अन्यत्र अधिष्ठानों में स्थापित खेरदाई की प्रतिमाएं नवरात्र पर्व में मां भगवती के विविध स्वरूपों में पूजनीय हैं।  खेरमाई (खेरदाई) अपकारी शक्तियों से हमारी धरती के साथ सभी प्राणियों और वनस्पतियोंकी रक्षा करती हैं।जबलपुर में नवरात्र पर्व का यह अद्वैत भाव अद्भुत एवं अद्वितीय होने के साथ मार्गदर्शी भी है।
बड़ी खेरमाई का मंदिर वस्तुतः देवी पुराण में वर्णित 52 वां गुप्त शक्तिपीठ है, जहाँ सती माता का निचला जबड़ा गिरा था। यद्यपि बड़ी खेरमाई की उपासना का इतिहास अति प्राचीन है परंतु शक्तिपीठ के रुप में मंदिर निर्माण कलचुरि वंश के राजा नरसिंह देव की माता अल्हण देवी ने कराया। कलचुरि काल के अवसान के बाद गोंडवाना साम्राज्य का उदय हुआ। सन् 1290 में कड़ा और मानिकपुर के तुर्क सूबेदार अलाउद्दीन खिलजी ने गोंडवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया तत्कालीन गोंड राजा मदनशाह अचानक हमले के परास्त होकर, भानतलैया स्थित  खेरमाई मां की शिला के पास बैठ गए। जहां उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति हुई, पूजा के बाद उनमें अद्भुत शक्ति  का संचार हुआ और मदनशाह ने तुर्क सेना पर आक्रमण कर अलाउद्दीन खिलजी को परास्त कर खदेड़ दिया। अतः यह कहना कि मदनशाह का युद्ध मुगलों से हुआ था, सर्वथा असत्य है क्योंकि मुगल सन् 1526 में आक्रांता के रुप में भारत आए थे।  सन् 1480 में अमानदास गोंडवाना के महाप्रतापी सम्राट बने जो राजा संग्रामशाह के नाम से प्रसिद्ध हैं। राजा संग्रामशाह ने बड़ी खेरमाई के शक्तिपीठ का कायाकल्प कराकर एक मढ़िया की स्थापना करायी। बड़ी खेरमाई की कृपा से राजा संग्रामशाह जीवन भर अपराजेय रहे। शहर अब महानगर हो गया है लेकिन आज भी मां खेरमाई (खेरदाई) का ग्राम देवी के रूप में पूजन किया जाता है। सन् 1652 में गोंडवाना के महान् राजा हृदयशाह के समय से चैत्र नवरात्रि जवारा विसर्जन चल समारोह आज भी अनवरत् रुप से जारी है।वर्तमान में समाज सेवी शरद अग्रवाल (कार्यकारी अध्यक्ष) के निर्देशन में श्री बड़ी खेरमाई ट्रस्ट द्वारा इस शक्तिपीठ का प्रबंधन किया जा रहा है। यह शोध आलेख नई दुनिया के यशस्वी वरिष्ठ पत्रकार श्रीयुत तरुण मिश्रा एवं उदीयमान पत्रकार श्रीयुत दीपक जैन जी के साथ तैयार हुआ है। मेरा क्या है वही गिलहरी जितना योगदान है।

 

 
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