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घाटी के स्कूलों में 'जन गण मन' गान से कुछ नहीं होगा, भाव भी जगाने होंगे
Date : 14-Jun-2024
''जन गण मन'' से जब शुरूआत हो ही रही है तो इसके अर्थ को भी यहां सभी ह्दय से अंगीकार करेंगे। इस गान का मुख्य भाव यही है कि जन गण मन के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं! यानी कि हम सभी भारतवासी की जय करने की बात यहां कही गई है। आगे बताया गया कि उनका नाम सुनते ही पंजाब, सिन्ध, गुजरात और मराठा, द्राविड़, उत्कल व बंगाल एवं विन्ध्या हिमाचल, यमुना और गंगा पर बसे लोगों के हृदयों में मचलती मनमोहक तरंगें भर उठती हैं। फिर कहा गया कि सब तेरे (भारत) पवित्र नाम पर जाग उठते हैं, सब तेरे (हिन्दुस्थान) पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाषा रखते हैं और सब तेरे (हिन्द) ही जयगाथाओं का गान करते हैं । अत: जनगण के मंगल दायक (भारत की जनता) की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता(भारत का प्रत्येक नागरिक, तेरी ) विजय हो, विजय हो, विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो।
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