Quote :

शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | काम क्रोध व्यापै नहीं, कबूँ न ग्रासै काल ||

Travel & Culture

किसानों का मौसम विभाग 'जगन्नाथ मंदिर' दे रहा अच्छी बारिश का संकेत

Date : 22-Jun-2024

  मानसून मंदिर के रुप में है इसकी पहचान, पत्थर से टपकने लगा पानी


कानपुर। तकनीक के विकास से मौसम विभाग भले ही मानसून की पल-पल की खबर दे रहा हो, लेकिन कानपुर सहित आसपास जनपदों के किसान अभी भी जगन्नाथ मंदिर को ही मौसम विभाग से कम मानने को तैयार नहीं हैं। मानसून मंदिर के रुप में बनी इसकी पहचान पर लोगों का भरोसा कायम है। इस बार भी मंदिर के गुंबद में लगे पत्थर से पानी टपकने लगा है जो अच्छी बारिश का संकेत दे रहा है।

कानपुर शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर घाटमपुर में बेहटा बुजुर्ग गांव में जगन्नाथ मंदिर मौजूद है। यह मंदिर देश के बेहद प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसे गोल गुंबद और सांची स्तूप की शक्ल में बनाया गया है। हालांकि यह मंदिर कब बना इस पर सही वैज्ञानिक तथ्य नहीं है, लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक करीब दो हजार वर्ष पुराना यह मंदिर है। यह जगन्नाथ मंदिर भारत भर में अनोखा है और यहां पर भगवान जगन्नाथ जी मौजूद हैं। इस मंदिर के भगवान की मूर्ति के ऊपर छत में चमत्कारी पत्थर लगे हैं जो मानसून के आने की सटीक भविष्यवाणी करते हैं। ग्रामीणों और इलाकाई लोगों का मानना है कि मंदिर में मानसून आने से पहले चमत्कारी पत्थर पर पानी की बूंदों का आकार बन जाता है। यह बूंदे अगर नहीं सूखती और नीचे टपकने लगती हैं तो अच्छी बारिश के आसार बन जाते हैं।

बड़ी बूंदें दे रही अच्छी बारिश का संकेत

मंदिर के महंत के.पी शुक्ला ने गुरुवार को बताया कि यह भगवान जगन्नाथ का दिव्य और अलौकिक मंदिर है। यहां पर छत पर लगा पत्थर मौसम की सटीक भविष्यवाणी करता है, जिससे इसको मानसून मंदिर भी कहा जाता है। वैसे इस बार अच्छी मानसूनी बारिश के आसार बन रहे हैं, क्योंकि पत्थर से बड़ी बूंदें निकल रही हैं। पत्थर से अगर छोटी बूंदें आती हैं तो बारिश कम होने की संभावना रहती है। यह बूंदें कहां से आती हैं और क्यों ऐसा होता है इस पर यहां देश-विदेश के कई वैज्ञानिक शोध करने आए, लेकिन वो मंदिर के पत्थर पर पानी की बूंदों का पता ना लगा सके। कुछ भी हो मानसून को लेकर इस मंदिर की भविष्यवाणी कभी गलत नहीं होती है और ग्रामीण छत पर लगे पत्थर की बूंदों के आधार पर ही मानसून पर विश्वास जताते हैं।

इस पर चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने बताया कि मैं खुद दो बार मंदिर गया और देखा कि मंदिर के पत्थर से पानी की बूंदे निकल रही हैं, जबकि वातावारण पूरी तरह से शुष्क रहा। ऐसा क्यों हो रहा है और मंदिर में बूंदों के आधार पर ग्रामीण मानसून की सटीक जानकारी कर लेते हैं इस पर मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन ग्रामीण सदियों से मानसून की जानकारी को लेकर मंदिर पर विश्वास जताते चले आ रहे हैं।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload









Advertisement