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16 जून विशेष:- गंगा दशहरा, जानिए गंगा स्नान का महत्त्व और नियम

Date : 15-Jun-2024

 

हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक गंगा दशहरा का पर्व, माता गंगा की पूजा विधान को समर्पित है| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। यही नहीं उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। शास्त्रों में गंगा माता को मोक्षदायिनी भी कहा गया है। ये भी माना जाता है कि गंगा नदी शिव जी की जटाओं से निकलती हैं, इसलिए इस दिन शिव जी की भी पूजा करनी चाहिए। इससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा सेवन यानी गंगा स्नान करने से अनजाने में हुए पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस पवित्र नदी में स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। इनमें निषिद्ध हिंसा, परस्त्री गमन, बिना दी हुई वस्तु को लेना, कठोर वाणी, दूसरे के धन को लेने का विचार, दूसरों का बुरा करना, व्यर्थ की बातों में दुराग्रह, झूठ बोलना, चुगली करना, दूसरों का अहित करना शामिल है।

शुभ मुहूर्त 2024 

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून को देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. दशमी तिथि का समापन 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर होगा |

ऐसे में गंगा दशहरा का पर्व 16 जून को मनाया जाएगा. इस दिन स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त बेहद शुभ होता है |

गंगा दशहरा के दिन यानी 16 जून को सुबह 7 बजकर 8 मिनट से सुबह 10:37 तक स्नान-दान आदि का शुभ मुहूर्त है  | 

गंगा स्नान का महत्त्व
स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए, इससे वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता, तब वह अपने घर के पास की किसी नदी पर माँ गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करे और यह भी संभव नहीं हो तो माँ गंगा की कृपा पाने के लिए इस दिन गंगाजल का स्पर्श और सेवन अवश्य करना चाहिए। मत्स्य, गरुड़ और पद्म पुराण के अनुसार हरिद्वार, प्रयाग और गंगा के समुद्र संगम में स्नान करने से मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग पहुंच जाता है और फिर कभी पैदा नहीं होता यानी उसे निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है।गंगा में स्नान करते समय स्वयं श्री नारायण द्वारा बताए गए मन्त्र-'' नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'' का स्मरण करने से व्यक्ति को परम पुण्य की प्राप्ति होती है।

गंगा स्नान के नियम

पुण्य प्रदायिनी माँ गंगा में स्नान से पहले सामान्य जल से अच्छे से नहा लें। गंगा नदी में सिर्फ डुबकी लगाएं। पवित्र नदी में साबुन लगाकर शरीर का मेल निकालें।

मान्यता है कि गंगा स्नान करने के बाद शरीर को कपड़े से नहीं पोंछना चाहिए। जल को शरीर पर ही सूखने देना चाहिए।

मृत्यु या जन्म सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।

यदि आप घर में गंगा स्न्नान का पुण्य लेना चाहते हैं तो घर पर नहाने की स्थिति में गंगाजल की कुछ बूंदे या कम मात्रा ही नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं।

गंगा दशहरा की पूजा विधि

गंगा दशहरा पर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करें।

इसके बाद साफ वस्त्रों का धारण करके सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

इस शुभ दिन पर गंगा मां के साथ-साथ शिव जी की पूजा करने का भी विधान है।

इस दौरान गंगा स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पूजा के बाद आप जरूरतमंद लोगों को दान कर सकते हैं।

 

 
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