गूढ मैथुनकारित्वं काले काले च संग्रहम्।
अप्रमत्तवचनमविश्वासं पंच शिक्षेच्च वायसात् ॥
काग से सीख योग्य बातों की चर्चा करते हुए आचार्य कहते हैं कि छिपकर मैथुन करना, समय-समय पर संग्रह करना, सावधान रहना, किसी पर विश्वास न करना और आवाज देकर औरों को भी इकट्ठा कर लेना, ये पांच गुण कौए से सीखें।
आशय यह है कि व्यक्ति को भी कुछ कार्य कौए के समान करने चाहिए। जैसे कौआ सदा छिपकर मैथुन करता है क्योंकि यह क्रिया नितान्त व्यक्तिगत होती है, छोटी-मोटी चीजें अपने घोंसले में एकत्रित करता रहता है ताकि समय पर दूसरे का मुंह न ताकना पड़े। सदा चौकन्ना रहता है। कांव-कांव करता हुआ अपने अन्य साथियों को भी आवश्यकता पड़ने पर बुला लेता है। कभी किसी पर विश्वास नहीं करता क्योंकि जांच-परखकर विश्वास से छल की संभावना नहीं रहती। इन गुणों को कौए से सीखना चाहिए।