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उप्र में अब ऑनकॉल डॉक्टर भी करायेंगे प्रसव

Date : 07-Nov-2022

 सभी एफआरयू में सिजेरियन प्रसव की सुविधा शुरू करने की तैयारी

-उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिये

लखनऊ, 07 नवम्बर (हि.स.)। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है। फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकॉल व्यवस्था की जायेगी।

नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने ऑनकॉल डॉक्टरों को रखने की गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके बाद उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक को व्यवस्था को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिये हैं।

संस्थागत प्रसव को मिलेगा बढ़ावा

यूपी में हर साल लगभग 56 लाख प्रसव हो रहे हैं। मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी है। इसमें डॉक्टरों की कमी अभी तक रोड़े अटका रही थी। फस्ट रेफरल यूनिटों में भी अब ऑनकॉल डॉक्टरों बुलाये जा सकेंगे।

प्रदेश में 417 एफआरयू हैं। 149 में इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध है। डॉक्टरों की कमी की वजह से कई एफआईआरयू सेंटर मरीजों को इलाज की सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। ऑपरेशन से प्रसव की सुविधा नहीं है। एनस्थीसिया व स्त्री रोग विशेषज्ञों को ऑनकॉल और फालोअप पर बुलाने के लिए अलग से मानदेय प्रदान किया जाएगा।

सिजेरियन के लिए ही ऑनकॉल की सुविधा

खास बात यह है कि सिजेरियन के लिए ही ऑनकॉल डॉक्टर बुलाये जायेगा। जिन एफआरयू में स्त्री रोग व एनस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम नहीं होगी, वहां निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ ऑनकॉल बुलाये जा सकेंगे। जिला स्तरीय चिकित्सालय पर तैनात विशेषज्ञों को ग्रामीण एफआरयू ईकाईयों में ऑनकॉल बुलाया जा सकेगा। साथ ही ग्रामीण एफआरयू में तैनात विशेषज्ञों को जिला स्तरीय चिकित्सालयों पर सिजेरियन प्रसव के लिए ऑनकॉल बुलाया जा सकता है। सीएमओ जनपद की समस्त राजकीय एफआरयू स्वास्थ्य इकाईयों में ऑनकॉल पर कार्य करने के इच्छुक विशेषज्ञों से सहमति पत्र प्राप्त करेंगे। उन्हें जिला स्वास्थ्य समिति से संबद्ध करायेंगे। इस पैनल में चयनित विशेषज्ञों को एक या एक से अधिक एफआरयू इकाई का चयन करने का अवसर दिया जा सकता है।

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है कि एफआरयू ईकाईयों में सिजेरियन की पुख्ता व्यवस्था से बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा। समय से गर्भवती महिलाओं को इलाज मिलने की राह आसान होगी। एफआरयू में आवश्यक दवायें, उपकरण आदि की व्यवस्थाएं हैं। आनकॉल डॉक्टरों की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू की जाये, ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके।

हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी

 
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