परमाणु, जैविक,रासायनिक युद्ध में सक्षम 'मोरमुगाओ' जहाज 18 दिसंबर को नौसेना के बेड़े में शामिल होगा | The Voice TV

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परमाणु, जैविक,रासायनिक युद्ध में सक्षम 'मोरमुगाओ' जहाज 18 दिसंबर को नौसेना के बेड़े में शामिल होगा

Date : 16-Dec-2022

 प्रोजेक्ट 15 बी के तहत बनाया गया है स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का दूसरा जहाज

- इसी प्रोजेक्ट का पहला जहाज विशाखापत्तनम पिछले साल शामिल हो चुका है नौसेना में

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (हि.स.)। परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध में सक्षम 'मोरमुगाओ' जहाज को 18 दिसंबर को औपचारिक रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। प्रोजेक्ट 15 बी के तहत बनाए गए स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का यह दूसरा जहाज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पहला जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम को पिछले साल भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है।

नौसेना के बेड़े में शामिल करने का कार्यक्रम मुम्बई के नौसेना डॉकयार्ड में होगा। प्रोजेक्ट 15 बी के तहत चार जहाजों के लिए 28 जनवरी, 2011 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस परियोजना का पहला जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम पिछले साल 21 नवंबर को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा चुका है। आईएनएस मोरमुगाओ प्रोजेक्ट-15बी श्रेणी का दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक है। स्वदेशी तकनीक से बने युद्धपोत को पिछले साल 19 दिसंबर को परीक्षण के लिए समुद्र में उतारा गया था। 

इस जहाज की डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है तथा निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है। इस शानदार पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7400 टन है। इसकी गिनती भारत में निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में होती है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है। इस वजह से यह पलक झपकते ही 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है। रडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता। 

मोरमुगाओ ‘उत्कृष्ट’ हथियारों और दूरसंवेदी उपकरणों से लैस है। इसमें जमीन से जमीन पर तथा जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं। पोत में आधुनिक निगरानी रडार लगा है, जो लक्ष्य के बारे में सीधे तोप प्रणाली को सूचित कर देता है। पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है। पोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है।

इस पोत की खासियत है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किया गया है। अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तारपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली शामिल है। प्रमुख ओईएम के साथ बीईएल, एल-एंड-टी, गोदरेज, मैरीन इलेक्ट्रिकल ब्रह्मोस, टेक्नीको, काइनको, जीत-एंड-जीत, सुषमा मैरीन, टेक्नो प्रॉसेस आदि जैसे छोटे एमएसएमई ने भी इस विशाल मोरमुगाओ को बनाने में अपना योगदान दिया है।

पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक गोदी शहर गोआ के नाम पर मोरमुगाओ नाम रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को उस दिन समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोआ की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे। गोआ मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर 18 दिसंबर को पोत को नौसेना में शामिल किए जाने से भारतीय नौसेना हिंद महासागर व उसके आगे के समुद्री क्षेत्र में अपना दायित्व और भूमिका निभाने में सक्षम होगी। इस जहाज का नाम गोवा के समुद्री क्षेत्र मोरमुगाओ को समर्पित करने से न केवल भारतीय नौसेना और गोवा के लोगों के बीच संबंध में वृद्धि होगी, बल्कि जहाज की पहचान को स्थायी रूप से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका से भी जोड़ा जाएगा।

 
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