एक हजार अनुसूचित वर्ग की महिलाओं ने मिलकर किया शिव पूजन
अयोध्या, 26 जुलाई। प्रभु श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या शनिवार को "हर-हर महादेव" के जयघोष से गुंजायमान हो उठी। अवसर था टेढ़ी बाजार तिराहे स्थित अरुंधति मल्टीलेवल पार्किंग परिसर में आयोजित सामूहिक रुद्राभिषेक का, जिसका भव्य आयोजन वशिष्ठ फाउंडेशन द्वारा किया गया।
इस आयोजन में समाज के हर वर्ग—पिछड़े, अनुसूचित और अगड़ी जाति की महिलाएं—एक ही पंक्ति में बैठकर शिव आराधना में लीन दिखीं। यह दृश्य न केवल अद्भुत और अलौकिक था, बल्कि यह भी दर्शा रहा था कि सनातन संस्कृति समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की शक्ति रखती है। जातीय भेदभाव की दीवारें टूट रही थीं और एकता का संदेश स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
सुबह 9 बजे से ही मल्टीस्टोरी पार्किंग परिसर में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बन चुका था। करीब एक हजार महिलाएं और कुछ विशेष आमंत्रित पुरुष पूजन स्थल पर एकत्र हुए। वशिष्ठ फाउंडेशन की महासचिव श्रीमती राजलक्ष्मी तिवारी एवं अयोध्या के महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने सभी का स्वागत किया और उन्हें पूजन सामग्री प्रदान कर विधिवत पार्थिव रुद्राभिषेक की शुरुआत करवाई।
इस अवसर पर महापौर ने कहा, “सनातन संस्कृति को कमजोर करने के लिए लगातार षड्यंत्र हो रहे हैं, लेकिन शिव आराधना से समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव आएगा। राम और शिव दोनों हमारे आराध्य हैं और उनके आदर्शों को अपनाकर ही समाज में सदाचार की नींव रखी जा सकती है।”
फाउंडेशन की महासचिव राजलक्ष्मी तिवारी ने बताया कि संस्था उन परिवारों तक पहुँचने का प्रयास कर रही है जो धीरे-धीरे हिन्दू परंपराओं से दूर हो रहे हैं। “अगर घरों में हनुमान चालीसा और शिव आराधना का संकल्प लिया जाए तो आने वाली पीढ़ी को संस्कार और धर्म का सही ज्ञान मिलेगा। सनातन परंपरा में माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना गया है और यह विचार ही परिवारों को सशक्त करता है,” उन्होंने कहा।
पूजन विधि का नेतृत्व आचार्य शिवेंद्र और उनके सहयोगियों—आचार्य रामजी, आचार्य अमित पांडे, आचार्य हिमांशु और इंद्रजीत शुक्ल—ने किया। लगभग दो दर्जन बटुक ब्राह्मणों ने उन्हें सहयोग दिया। साथ ही, रुद्राभिषेक के दौरान शास्त्रीय संगीत की मधुर स्वर लहरियाँ वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना रही थीं।
इस भव्य आयोजन में अनेक पार्षद व समाजसेवी—रमाशंकर निषाद, दिनेश पांडेय, दीपक चौधरी, आभा सिंह, अनीता दुबे, तथा विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं—वीरमति (भीखापुर), पुष्पा व अन्नू (कुशमाहा), इंद्रावती (आशापुर), किस्मता (सहनवा), सीमा (मीरापुर), श्यामकली (चांदपुर), रुकमा देवी (दरगाह बगिया), रेनू (मक्कापुर), मंजू निषाद (पिपरी), बिट्टू वाल्मीकि (चांदपुर), हर्ष निषाद—का उल्लेखनीय योगदान रहा।
कार्यक्रम के समापन पर वशिष्ठ फाउंडेशन की ओर से महिलाओं को साड़ी एवं श्रृंगार सामग्री भेंट की गई और सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना का उत्सव था, बल्कि सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की व्यापकता का जीवंत प्रमाण भी।