सुधीर फड़के एक ऐसे गायक और संगीतकार थे जिन्होंने मराठी संगीत से अपने करियर की शुरुआत की और बाद में हिंदी संगीत में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। हिंदी संगीत में उन्होंने लता मंगेशकर, ललिता देउलकर, वसंतराव देशपांडे, राम फाटक और उषा अत्रे जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के साथ कार्य किया। उनकी अपनी आवाज़ में 56 गीत रिकॉर्ड किए गए थे। उन्हें पाँच दशकों तक मराठी फ़िल्म उद्योग और मराठी सुगम संगीत का प्रमुख चेहरा माना जाता था।
उनका जन्म 25 जुलाई 1919 को कोल्हापुर में हुआ था। बचपन में उनका नाम राम फड़के था, लेकिन जब उन्होंने एचएमवी के लिए एक गीत तैयार किया, तब उन्होंने अपना नाम बदलकर 'सुधीर' रख लिया।
संगीत की ओर उनका झुकाव बचपन से ही था। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित वामनराव पाध्ये के सान्निध्य में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र संगीत विद्यालय में प्रशिक्षण लिया, जो बाबूराव गोखले द्वारा संचालित था। इस दौरान उन्हें बाल गंधर्व, हीराबाई बरोडेकर और के एल सहगल जैसे महान कलाकारों से प्रेरणा मिली। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वे इंजीनियरिंग की औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं कर सके और उन्होंने संगीत को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया।
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, सुधीर फड़के भारतीय स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित हिंदी फिल्म 'वीर सावरकर' के निर्माण में जुटे थे। यह फिल्म सार्वजनिक दान के माध्यम से बनाई गई थी। वह गोवा स्वतंत्रता आंदोलन और भारत की आज़ादी के बाद की गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे। वे 60 से अधिक वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे और अमेरिका में 'इंडिया हेरिटेज फाउंडेशन' के संस्थापक सदस्य भी थे।
सुधीर फड़के का नाम 'गीत रामायण' के कारण विशेष रूप से अमर हो गया। गजानन दिगंबर माडगूलकर द्वारा लिखित 56 गीतों को उन्होंने स्वरबद्ध किया और गाया। ये गीत रामायण के कथानक को कालक्रम में प्रस्तुत करते हैं। इसका पहला प्रसारण 1 अप्रैल 1955 को राम नवमी के दिन ऑल इंडिया रेडियो, पुणे से हुआ था। अगले 56 सप्ताह तक हर रविवार को एक नया गीत प्रसारित होता रहा और यह कार्यक्रम उस समय की सबसे लोकप्रिय प्रस्तुतियों में से एक बन गया। 'गीत रामायण' का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया।
संगीतकार के रूप में उन्होंने कई यादगार रचनाएं दीं। 'ज्योति कलश छलके', जिसे लता मंगेशकर ने राग देशकर पर गाया था, एक अत्यंत प्रसिद्ध गीत है। किशोर कुमार की आवाज़ में 'पहली तारीख' नामक गीत आज भी हर महीने की पहली तारीख को रेडियो सीलोन से प्रसारित होता है। उन्होंने मराठा लाइट इन्फैंट्री के रेजिमेंटल गीत को भी संगीतबद्ध किया, जो जी.डी. माडगुलकर द्वारा लिखा गया था। इसके अलावा उन्होंने ‘चाहिए आशीष माधव’ के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर को श्रद्धांजलि दी।
उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में 'आशी पखारे यति', 'देव देवहर्यत नाही', 'दाव मांडु मांडु मोडु नाको', 'विकट घेटला श्याम', 'तुझे गीत गण्यसती सुर लाभु दे' और 'तोच चंद्रमा नभात' शामिल हैं।
सुधीर फड़के को उनके कार्यों के लिए कई पुरस्कार मिले। वर्ष 1963 में मराठी फिल्म "हा माझा मार्ग एकला" के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हें दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार मिला, 2001 में लता मंगेशकर पुरस्कार प्रदान किया गया, अल्फ़ा लाइफ ऑनर्स अवार्ड से नवाजा गया और 2002 में उन्हें 'सह्याद्रि स्वररत्न पुरस्कार' प्राप्त हुआ।
सुधीर फड़के का जीवन संगीत, देशभक्ति और संस्कृति के प्रति समर्पण की मिसाल है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।