जम्मू-कश्मीर के सियाचिन में वीरगति को प्राप्त हुए मध्य प्रदेश के अग्निवीर जवान हरिओम नागर पंचत्व में विलीन हो गए। मंगलवार को उनके पैतृक गांव टूटियाहैड़ी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। बलिदान हरिओम नागर के पार्थिव शरीर को उनके बड़े भाई बालचंद नागर ने मुखाग्नि दी। इससे पहले बलिदान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बलिदान बेटे की पार्थिव देह को देख पिता दुर्गा प्रसाद नागर बेसुध हो गए थे।
राजगढ़ जिले के ग्राम टूटियाहैड़ी निवासी अग्निवीर हरिओम नागर (22) सियाचिन में भारत-पाक सीमा पर 13,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात थे। ड्यूटी के दौरान रविवार (20 जुलाई) को सुबह लगभग 9 बजे अचानक हुए भूस्खलन में एक विशाल शिला उनके ऊपर गिर गई थी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए। बलिदान हरिओम का पार्थिव शरीर सोमवार शाम को विशेष विमान से भोपाल लाया गया और यहां से सेना के वाहन से सोमवार रात उनके पैतृक गांव पहुंचा।
नागर के पार्थिव शरीर को मंगलवार सुबह करीब 9:30 बजे सेना के वाहन से बोड़ा नाका पर लाया गया और यहां से 21 किलोमीटर लंबी अंतिम यात्रा शुरू हुई। राष्ट्रभक्ति गीतों के साथ यात्रा चली। करीब छह किलोमीटर लंबे काफिले में स्कूली बच्चों समेत हजारों लोग शामिल हुए। यात्रा में सांसद रोडमल नागर और राज्यमंत्री गौतम टेटवाल, नगर परिषद अध्यक्ष विकास करोड़िया सहित प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।
बलिदान हरिओम नागर के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान को फूलों से सजाया गया था। अंतिम संस्कार से पहले शहीद हरिओम नागर को सेना के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद राज्य मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद रोडमल नागर, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर, विधायक अमर सिंह यादव, कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा और एसपी अमित कुमार तोलानी ने पुष्पांजलि अर्पित की। यहां सैन्य सम्मान के साथ जवान हरिओम का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।