चंद्रयान-2 प्रक्षेपण की छठी वर्षगांठ: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज में भारत की अहम भूमिका | The Voice TV

Quote :

सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Science & Technology

चंद्रयान-2 प्रक्षेपण की छठी वर्षगांठ: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज में भारत की अहम भूमिका

Date : 20-Jul-2025

आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 मिशन की प्रक्षेपण की छठी वर्षगांठ है। यह मिशन 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की स्थलाकृति, भूकंपीय गतिविधियों, खनिज वितरण और सतह संरचना का अध्ययन करना था, जिसमें विशेष ध्यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर केंद्रित था।

चंद्रयान-2 मिशन में तीन प्रमुख घटक शामिल थे: ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)। यद्यपि लैंडर "विक्रम" की 6 सितंबर 2019 को चंद्र सतह पर सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण क्रैश लैंडिंग हुई, लेकिन मिशन पूरी तरह विफल नहीं रहा। ऑर्बिटर आज भी सक्रिय है और चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में खनिजों और पानी के अणुओं के मानचित्रण सहित वैज्ञानिक अध्ययनों में अहम भूमिका निभा रहा है।

ऑर्बिटर में शामिल आठ वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा के वातावरण और सतह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ जुटा रहे हैं। इससे न केवल इसरो को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की गहराई से समझ मिल रही है, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को भी चंद्र विज्ञान में नई अंतर्दृष्टियाँ प्राप्त हो रही हैं।

इसरो ने मिशन से एकत्रित डेटा को सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया है, जिससे शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को भविष्य की चंद्र अन्वेषण योजनाओं को आकार देने में मदद मिल रही है। चंद्रयान-2, भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का एक प्रतीक बन गया है।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement