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डिजिटल कोर्ट्स और एआई: न्यायिक सुधार की दिशा में शुरुआती कदम

Date : 20-Dec-2025

 सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि अदालतों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग अभी प्रारंभिक और प्रायोगिक चरण में है तथा न्यायिक प्रक्रियाओं में इसके उपयोग को लेकर फिलहाल कोई औपचारिक नीति या दिशानिर्देश तय नहीं किए गए हैं। हालांकि, ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना चरण-III के तहत न्यायिक दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से एआई आधारित उपकरणों की संभावनाओं का अध्ययन किया जा रहा है।

राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत भारतीय न्यायपालिका की सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए 7,210 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ई-न्यायालय परियोजना का तीसरा चरण लागू किया जा रहा है। इस चरण का उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली को अधिक सुलभ, पारदर्शी, लागत प्रभावी और भरोसेमंद बनाना है।

ई-कोर्ट चरण-III के तहत “भविष्य की तकनीकों” जैसे एआई और ब्लॉकचेन के एकीकरण के लिए 53.57 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि एआई आधारित समाधान फिलहाल केवल नियंत्रित पायलट परियोजनाओं के रूप में और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में स्वीकृत क्षेत्रों तक सीमित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक कार्यों में एआई की भूमिका की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए एक विशेष कृत्रिम बुद्धिमत्ता समिति गठित की है। एआई के उपयोग से संबंधित संचालन ढांचा और नियम उच्च न्यायालयों की आंतरिक नीतियों और कार्य नियमों के अनुसार तय किए जाएंगे।

न्यायपालिका ने एआई के उपयोग से जुड़ी चुनौतियों को भी स्वीकार किया है, जिनमें एल्गोरिथ्मिक पूर्वाग्रह, भाषा एवं अनुवाद की सीमाएं, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा, तथा एआई से उत्पन्न परिणामों के मानवीय सत्यापन की आवश्यकता शामिल है। इन पहलुओं पर सुझाव देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ छह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की एक उप-समिति का गठन किया है।

वर्तमान में कई एआई आधारित उपकरणों का परीक्षण चल रहा है। न्यायाधीशों को कानूनी शोध और दस्तावेज़ विश्लेषण में सहायता देने के लिए एआई आधारित कानूनी अनुसंधान सहायक ‘LegRAA’ विकसित किया गया है। इसके अलावा, ‘डिजिटल कोर्ट्स 2.1’ नामक एक उन्नत प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया गया है, जिसमें वॉइस-टू-टेक्स्ट प्रणाली ‘ASR-SHRUTI’ और अनुवाद सहायक ‘PANINI’ शामिल हैं, जो आदेश और फैसले लिखने में मदद करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अनुसार, इन एआई उपकरणों के प्रायोगिक उपयोग के दौरान अब तक किसी प्रकार के व्यवस्थित पूर्वाग्रह या अनपेक्षित सामग्री की कोई शिकायत सामने नहीं आई है।

यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में लिखित उत्तर के माध्यम से दी।


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