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पटना में ओयोजित जिलों के समग्र विकास सम्मेलन में देश भर के विशेषज्ञों ने योजनाओं के क्रियान्वयन पर किया मंथन

Date : 12-Sep-2025

जिलों के समग्र विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन सम्पन्न

पटना, 12 सितंबर । पटना में जिलों के समग्र विकास पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन देशभर से आए वरिष्ठ प्रशासकों, नीतिनिर्माताओं और विशेषज्ञों ने सहभागी शासन और सतत् विकास के सफल अनुभव साझा किए। चर्चाओं का फोकस पारदर्शिता बढ़ाने, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की प्रभावशीलता, समग्र शासन दृष्टिकोण और प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं के व्यापक क्रियान्वयन पर रहा।

दूसरे दिन के चौथे सत्र की अध्यक्षता भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक एस. एन. त्रिपाठी ने की। उन्होंने योजनाओं की समयबद्ध उपलब्धता के लिए पारदर्शिता और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण जैसी सुधारात्मक पहलों की महत्ता पर बल दिया।

जिलास्तरीय अनुभवों के अंतर्गत, पटना के जिलाधिकारी त्यागराजन एस. एम. ने बच्चों में श्रवण क्षमता ह्रास की समस्या के समाधान के लिए विकसित अभिनव मॉडल प्रस्तुत किया। आंगनबाड़ी ढांचे और विभागीय समन्वय का उपयोग करते हुए बिना अतिरिक्त बजट व्यय के यह पहल अनेक बच्चों के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुई।

पूर्वोत्तर भारत से अनुभव साझा करते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय, केंद्र सरकार की निदेशक डॉ. वर्णाली डेका ने असम के नलबाड़ी जिले की 'कोई पीछे न छूटे' (नो वन लेफ्ट बिहाइंड) पहल पर प्रकाश डाला। उद्यम गोष्ठी जैसे मंचों ने स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देकर ज़िले में स्थायी विकास को नई दिशा दी।

राजस्थान के बीकानेर की जिलाधिकारी नाम्रता वृष्णि ने रेगिस्तानी क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए आंगनबाड़ी स्तर पर स्थानीय भाषा में शिक्षा, विद्युतीकरण और स्मार्ट टीवी व्यवस्था जैसी पहलों की जानकारी दी।

बिहार के खेल परिदृश्य में तेज़ बदलाव को प्रस्तुत करते हुए निदेशक (खेल) महेन्द्र कुमार ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत राज्य में 8,000 से अधिक खेल मैदान विकसित किए गए हैं। उन्होंने छात्रवृत्ति, प्रतिभा पहचान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मेजबानी और अवसंरचना विकास जैसी पहलों के माध्यम से बिहार को खेल क्षेत्र में उभरती शक्ति बताया।

पांचवें सत्र की अध्यक्षता बिहार सरकार के गन्ना उद्योग विभाग के प्रधान सचिव नरमदेश्वर लाल ने की। इस सत्र में आज़मगढ़ के जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और महिलाओं हेतु पोषण कार्यक्रम जैसे कल्याणकारी उपायों की सफलता साझा की।

गुजरात के अरावली जिले की जिलाधिकारी प्रशस्ती पारेख ने पीएम-जन आरोग्य योजना, पोषण 2.0, हर घर जल, मातृ वंदना योजना और पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं के तालमेल के सफल परिणाम बताए।

वैशाली के पूर्व जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने अपना पंचायत, अपना प्रशासन पहल के माध्यम से ग्राम स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को कैसे सुदृढ़ किया गया, इसका अनुभव साझा किया, तो कर्नाटक के तुमकुरु जिले की जिलाधिकारी शुभा कल्याण ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और महिलाओं के लिए डिजिटल भुगतान को सशक्त बनाने जैसे अनुभव बताए।

समापन अवसर पर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. बी. राजेन्दर ने सम्मेलन के सफल आयोजन पर बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की टीम को बधाई दी। प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव पुनीत यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत एवं विकास आयुक्त डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व की सराहना की।उन्होंने बिहार सरकार को देशभर के जिलों की श्रेष्ठ पहलों को साझा करने तथा सफल सम्मेलन आयोजित के लिए धन्यवाद दिया।

 
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