नई दिल्ली — भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब तक 9 प्रमुख वैश्विक रिकॉर्ड हासिल किए हैं और आने वाले वर्षों में 8 से 10 और विश्व कीर्तिमान जोड़ने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। यह जानकारी ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने एक कार्यक्रम के दौरान दी।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
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मंगल ऑर्बिटर मिशन (2014):
भारत पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुँचने वाला पहला देश बना। -
PSLV-C37 (2017):
एक ही मिशन में 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। -
चंद्रयान-2 (2019):
चंद्रमा की कक्षा में दुनिया का सबसे उन्नत ऑर्बिटर कैमरा स्थापित किया गया। -
चंद्रयान-3 (2023):
भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बना। -
क्रायोजेनिक प्रगति (2014–2017):
भारत ने क्रायोजेनिक इंजन तकनीक में तीन वैश्विक रिकॉर्ड बनाए, जिसमें
– LVM3 की तेज़ उड़ान (28 महीनों में),
– अन्य देशों की तुलना में रिकॉर्ड समय,
– लागत-कुशल निर्माण शामिल हैं।
रणनीतिक दृष्टिकोण:
नारायणन ने ISRO की "लागत-संवेदनशील" नीति की सराहना की, जिसने प्रक्षेपण व्यय को कम कर भारत को एक विश्वसनीय और किफायती अंतरिक्ष साझेदार बना दिया है। ISRO अब तक 4,000 से अधिक रॉकेट और 133 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है, जिनका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में हो रहा है।
भविष्य की योजनाएँ:
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2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन का लक्ष्य
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8–10 नए वैश्विक रिकॉर्ड बनाने की योजना
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और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार को और गति देने का संकल्प
वी. नारायणन ने कहा,
"भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास, रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक कदम है।"
भारत अब न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रतिस्पर्धा कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर मानक स्थापित कर रहा है — और ISRO इसका नेतृत्व कर रहा है।