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खेती-किसानी में विज्ञान

Date : 24-Sep-2023

 कल तक जिन महिलाओं का जीवन घर की चहारदीवारी के अंदर कैद थी और उनकी खुद की पहचान से वंचित थी, आज वही महिलाएं वनोपज उद्यमी के रूप में अपनी अलग पहचान बना रहीं हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की ये महिला किसान लाह की खेती के ज़रिये बेहतर आजीविका की ओर अग्रसर हो रही हैं। लाह की खेती से महिलाएं न सिर्फ अपने गांव में ही रहकर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहीं हैं, बल्कि राज्य में लाह उत्पादन में झारखंड को एक अलग पहचान दे रही हैं। ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के ज़रिये सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं को लाह की वैज्ञानिक खेती से जोड़कर आधुनिक कृषि तकनीक के माध्यम से उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

लाह की खेती से जीवन में बदलाव का उदाहरण हैं रनिया प्रखंड की डाहू पंचायत के सेमरटोली गांव की जोसफिना कंडुलना। जोसफिना बताती हैं कि वह 2016 में झारखंड लाइवलीहूड प्रोमोशन सोसाइटी(जेएसएलपीएस) के माध्यम से सखी मंडल से जुड़ी और 2020 में महिला समूह के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से लाह की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया और लाह की खेती करना शुरू किया। वर्तमान में जोसफिना अपने पेड़ों के अलावा दूसरों के पेड़ों पर भी लाह का खेती कर रही है।

जोसफिना ने बताया कि वह साल में दो बार लाख की खेती करती है वैशाखी और केतकी। इससे वह हर साल लगभग दो लाख की कमाई करती है। लाह खेती करते-करते वह क्षेत्र में लाख विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। अब जोसफिना का चयन आजीविका वन मित्र के रूप में हो गई है। जोसफिना बताती है कि उसके साथ अन्य 50 महिला किसान भी वैज्ञानिक तरीके से लाह की खेती कर रही हैं। आजीविका वन मित्र से दीदी को साल में लगभग 15 से 18 हजार रुपये की अलग आमदनी भी हो रही है। इस आय वृद्धि से जोसफिना अपने बच्चों को अच्छे विद्यालय में पढ़ा रही है। जोसफिना बताती हैं कि अब डाहू गांव ही नहीं, अन्य गांवों की महिलाएं भी लाह की खेती में रुचि दिखा रही हैं और अच्छी आमदनी प्राप्त कर अपनी जीवन शैली में सुधार ला रही हैं।

 
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