ऑनलाइन वाणिज्य पर बेसेमर वेंचर पार्टनर्स की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत का ऑनलाइन वाणिज्य क्षेत्र 2030 तक दस गुना बढ़कर $300 बिलियन होने का अनुमान है. 2020 में यह $30 बिलियन था. यह वृद्धि देश की $1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
भारत के खुदरा क्षेत्र में ऑनलाइन वाणिज्य की बढ़ती भूमिका
यह रिपोर्ट बताती है कि ऑनलाइन वाणिज्य अब कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में विकसित हो गया है, जो एक बड़े और विविध उपभोक्ता आधार की सेवा कर रहा है.
बेसेमर वेंचर पार्टनर्स के पार्टनर अनंत विदुर पुरी ने कहा, "भारत $1 ट्रिलियन का डिजिटल अवसर प्रदान करता है. पिछले एक दशक में कई उपभोक्ता बाजार, प्लेटफॉर्म और नए जमाने के ब्रांडों का उभरना भारत की बढ़ती आकांक्षाओं को दर्शाता है. यह हमें कई और उपभोक्ता-केंद्रित उद्यमों के उभरने की संभावना के बारे में असाधारण रूप से आशावादी बनाता है."
विकास के मुख्य कारक: "टेलविंड ट्राइफेक्टा"
रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि की नींव "टेलविंड ट्राइफेक्टा" ने रखी है, जिसमें शामिल हैं:
· बढ़ती इंटरनेट पहुंच: अधिक से अधिक भारतीय इंटरनेट से जुड़ रहे हैं.
· विकसित जनसांख्यिकी: युवा और तकनीक-प्रेमी आबादी ऑनलाइन खरीदारी को अपना रही है.
· सहायक नीति सुधार: सरकार की नीतियां डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन व्यवसायों को बढ़ावा दे रही हैं.
आगे चलकर, वाणिज्य बाजारों, सामग्री प्लेटफार्मों और उपभोक्ता व्यवहार का निरंतर विकास नवाचार और अवसर की अगली लहर को आगे बढ़ाएगा.
क्विक कॉमर्स: एक नया खुदरा क्षेत्र
भारत के तेजी से बढ़ते ऑनलाइन कॉमर्स परिदृश्य में हाल ही में क्विक कॉमर्स (Q-Commerce) का उदय हुआ है, जिसने डिलीवरी की गति और सुविधा के बारे में उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को बदल दिया है. बिगबास्केट, ब्लिंकिट, स्विगी और ज़ेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म इस क्षेत्र में अग्रणी हैं, जो अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी मॉडल की बढ़ती मांग को पूरा कर रहे हैं.
रिपोर्ट में वर्टिकल क्यू-कॉमर्स के उद्भव की ओर भी इशारा किया गया है, जिसमें स्नैबिट, स्विश और स्लिक जैसे स्टार्टअप विशिष्ट उपभोक्ता आवश्यकताओं को लक्षित कर रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में और विविधता आ रही है.
D2C ब्रांड और आकांक्षी उपभोक्ताओं का उदय
भारत के डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड तेजी से बड़े पैमाने पर प्रीमियम दर्शकों की सेवा कर रहे हैं. ये उपभोक्ता उच्च गुणवत्ता वाले, किफायती और नए उत्पाद चाहते हैं. ये ब्रांड आधुनिक जीवनशैली और पसंद के अनुरूप सामानों की बढ़ती मांग का लाभ उठा रहे हैं.
सामग्री, माइक्रोट्रांजैक्शन और मुद्रीकरण रुझान
रिपोर्ट में भारत में "कंटेंट क्रांति" को भी रेखांकित किया गया है, जो मनोरंजन, शिक्षा और गेमिंग सामग्री की बढ़ती मांग से प्रेरित है. कम समय तक ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति और विभिन्न भाषाओं, शैलियों और मूल्य बिंदुओं पर सुलभ सामग्री की विस्तृत श्रृंखला के साथ, उपयोगकर्ता जुड़ाव बढ़ रहा है.
विशेष रूप से, लघु-फॉर्मेट वीडियो प्लेटफॉर्मों ने पिछले पांच वर्षों में दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं में 3.6 गुना वृद्धि देखी है, जो मुख्यधारा के डिजिटल प्लेटफॉर्मों के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
मुद्रीकरण मॉडल भी बदल रहे हैं. वर्चुअल टिपिंग और ऑटोपे सब्सक्रिप्शन सहित UPI-आधारित माइक्रोट्रांजैक्शन का उदय, सामग्री प्लेटफॉर्म के लिए नए राजस्व स्रोतों को सक्षम कर रहा है. इस सेगमेंट के 2029 तक $1.5 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो विज्ञापन-आधारित मॉडल से अधिक विविध आय रणनीतियों की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है.
तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य-प्रेरित उपभोग में वृद्धि
ऑर्गेनिक फूड, प्रोटीन सप्लीमेंट्स, फिटनेस गैजेट्स, प्रिवेंटिव हेल्थकेयर और वेलनेस सेवाओं पर खर्च बढ़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य-केंद्रित खाद्य और पेय (F&B) की खपत कुल F&B खर्च के 11% से बढ़कर 16% हो गई है, और ब्रांड इस उभरती मांग के साथ तेजी से तालमेल बिठा रहे हैं.