जब दुनिया 5G से आगे बढ़कर अब 6G की रफ्तार पकड़ने की तैयारी में है, वहीं एक ऐसा देश भी है जहां लोग अब तक 2G और 3G नेटवर्क तक ही सीमित हैं। यह देश है उत्तर कोरिया (North Korea), जहां इंटरनेट आम लोगों की सुविधा नहीं बल्कि सरकार की सख्त निगरानी का एक साधन बना हुआ है।
इंटरनेट नहीं, इंट्रानेट मिलता है आम लोगों को
उत्तर कोरिया में आम नागरिकों को वैश्विक इंटरनेट की सुविधा नहीं दी जाती। वहां केवल सरकारी इंट्रानेट नेटवर्क 'Kwangmyong' (क्वांगमयोंग) ही उपलब्ध है। यह एक बंद नेटवर्क है, जिसमें:
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सीमित और सरकार द्वारा स्वीकृत जानकारी होती है
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सोशल मीडिया, ग्लोबल न्यूज या बाहरी दुनिया की कोई झलक नहीं होती
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सभी गतिविधियां सरकार की कड़ी निगरानी में होती हैं
हर घंटे देना होता है स्क्रीनशॉट
जो लोग कंप्यूटर या स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें हर घंटे अपनी स्क्रीन का स्क्रीनशॉट सरकार को भेजना होता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी नागरिक सरकार के खिलाफ कोई जानकारी न देखे और न ही साझा करे।
अब भी 2G नेटवर्क और फीचर फोन का चलन
उत्तर कोरिया में अधिकांश लोग आज भी 2G फीचर फोन्स का ही उपयोग करते हैं। स्मार्टफोन कुछ खास लोगों को ही दिए जाते हैं और उनमें भी कड़ी सेंसरशिप और निगरानी होती है। स्मार्टफोन में क्या देखा गया, यह भी सरकार रिकॉर्ड करती है।
विदेशी मीडिया और फैशन पर भी बैन
यहां सिर्फ इंटरनेट ही नहीं, बल्कि जीवनशैली पर भी सरकार का कड़ा नियंत्रण होता है:
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विदेशी फिल्में, म्यूजिक या रेडियो सुनना अपराध माना जाता है
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लोगों के कपड़े, हेयरस्टाइल और यहां तक कि बोलचाल पर भी सरकार की नजर रहती है
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वैश्विक मीडिया पूरी तरह प्रतिबंधित है
साइबर अपराधों में भी आता है नाम
उत्तर कोरिया पर समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों और हैकिंग गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं।
संक्षेप में – उत्तर कोरिया में इंटरनेट का सच:
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आम जनता को ग्लोबल इंटरनेट नहीं, सिर्फ इंट्रानेट मिलता है
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हर डिजिटल गतिविधि पर सरकार की निगरानी
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हर घंटे स्क्रीनशॉट भेजना अनिवार्य
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विदेशी मीडिया और सोशल नेटवर्किंग पूरी तरह बैन
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इंटरनेट की पहुंच सिर्फ कुछ चुने हुए सरकारी अधिकारियों तक सीमित
दुनिया जहां डिजिटल फ्रीडम की ओर बढ़ रही है, वहीं उत्तर कोरिया आज भी डिजिटल तानाशाही का एक सख्त उदाहरण बना हुआ है।