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सभी देशवासियों की नजर में बहुत सम्मानित और निपूर्ण व्यक्ति रहे -एपीजे अब्दुल कलाम

Date : 30-Oct-2023

 अब्दुल कलाम भारत के ग्यारहवें और पहले गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे, जिनको ये पद तकनीकी एवं विज्ञान में विशेष योगदान की वजह से मिला था|  वे एक इंजिनियर वैज्ञानिक थे, कलाम जी 2002-07 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे|  राष्ट्रपति बनने के बाद कलाम जी सभी देशवासियों की नजर में बहुत सम्मानित और निपूर्ण व्यक्ति रहे है | कलाम जी ने लगभग चार दशकों तक वैज्ञानिक के रूप में काम किया है, वे बहुत से प्रतिष्ठित संगठन के व्यवस्थापक भी रहे है|

अब्दुल कलाम जन्म शैक्षिक जीवन

कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु में मछुआरे परिवार में हुआ था, वे तमिल मुसलमान थे|  इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है| इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था| वे एक मध्यम वर्गीय परिवार के थे|  इनके पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर घर चलाते थे| बालक कलाम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पढ़ा था| वे घर घर अख़बार बाटते और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे| अब्दुल कलामजी ने अपने पिता से अनुशासन, ईमानदारी एवं उदार स्वभाव में रहना सिखा था |  इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी| कलाम जी के 3 बड़े भाई व् 1 बड़ी बहन थी| वे उन सभी के बहुत करीब रिश्ता रखते थे | अब्दुल कलाम जी की आरंभिक शिक्षा रामेश्वरम एलेमेंट्री स्कूल से हुई थी| 1950 में कलाम जी ने बी एस सी की परीक्षा st. Joseph’s college से पूरी की| इसके बाद 1954-57 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया |  बचपन में उनका सपना फाइटर पायलेट बनने का था, लेकिन समय के साथ ये सपना बदल गया|

कलाम जी के करियर की शुरुवात 

एपीजे अब्दुल कलाम ने 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी और 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए थे। 1960 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ , भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) में काम किया। उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी।1965 में DRDO में कलाम ने स्वतंत्र रूप से एक रॉकेट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था। वह DRDO में अपने काम से ज्यादा खुश नहीं थे और जब उन्हें 1969 में जब उन्हें इसरो में ट्रांसफर करने के आदेश मिले तो वे खुश हो गए।कलाम को 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वे भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के परियोजना निदेशक बने, जिसने जुलाई 1980 मेंरोहिणीउपग्रह को निकट-पृथ्वी-कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया।

कलाम ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया।

1970 और 1990 के दशक के बीच, कलाम ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और (SLV-III) परियोजनाओं को विकसित करने में बहुत प्रयास किया था और दोनों ही सफल साबित हुए थे।

राजा रमन्ना ने कलाम को भारत के पहले परमाणु परीक्षणस्माइलिंग बुद्धाको देखने के लिए आमंत्रित किया, भले ही कलाम ने इसके विकास में भाग नहीं लिया था।

 

1970 के दशक में, सफल SLV-III कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करने के लिए, कलाम ने दो परियोजनाओं- ‘प्रोजेक्ट डेविलऔरप्रोजेक्ट वैलिएंटका निर्देशन किया।

जब तत्कालीन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परियोजनाओं को अस्वीकार कर दिया, तो इंदिरा गांधी (भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री) ने इन परियोजनाओं के लिए बिना किसी को बताये पैसो की व्यवस्था की और धन को वैज्ञानिको के हवाले किया ताकि परियोजना आगे बढ़ सके  

1980 में, कलाम के शैक्षिक नेतृत्व और अनुसंधान ने सरकार को कलाम के निर्देशन में एक उन्नत मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

आर वेंकटरमण (भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री) ने कलाम को एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया और मिशन के लिए 388 करोड़ रुपये आवंटित किए। कलाम ने मिशन के तहतअग्निऔरपृथ्वीसहित कई सफल मिसाइलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1990 के दशक में मीडिया कवरेज ने उन्हें भारत का सबसे प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक बना दिया, जिसने उन्हेंमिसाइल मैनका नाम दिया।

जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक, कलाम ने प्रधान मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और DRDO के सचिव के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान, पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण किए गए जिसमें कलाम ने अटल बिहारी वाजपेयी (भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री) के साथ एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और तकनीकी भूमिका निभाई 1992  में  वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। 1999 में एक कैबिनेट मंत्री के पद के साथ , उन्हें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।

1998 में, कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम लागत वाला कोरोनरी स्टेंट विकसित किया, जिसका नामकलाम-राजू स्टेंटरखा गया। दोनों ने 2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिएकलाम-राजू टैबलेटनामक एक मजबूत टैबलेट कंप्यूटर भी डिजाइन किया था।

अब्दुल कलाम जी का राष्ट्रपति बनना

1982 में वे फिर से रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के director बन गए| इनके नेतृत्व में Integrated guided missile development program को सफलतापूर्वक शुरू किया गया| अग्नि, प्रथ्वी व् आकाश के प्रक्षेपण में कलाम जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| सन 1992 में APJ अब्दुल कलामजी रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव बन गए| वे इस पद में 1999 तक कार्यरत रहे| भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिकों की लिस्ट में इनका नाम शामिल है. सन 1997 में APJ अब्दुल कलामजी को विज्ञान एवं भारतीय रक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत के सबसे बड़े सम्मानभारत रत्नसे सम्मानित किया गया|

सन 2002 में कलाम जी को भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसका सबने समर्थन किया और 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलामजी ने राष्ट्रपति पद की शपत ली|  कलाम जी कभी भी राजनिति से नहीं जुड़े रहे, फिर भी वे भारत के सर्वोच्य राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहे | जीवन में सुख सुविधा की कमी के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे, ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है| आज के बहुत से युवा एपीजे अब्दुल कलामजी को अपना आदर्श मानते है. छोटे से गाँव में जन्म ले कर इनती ऊचाई तक पहुचना कोई आसान बात नहीं. कैसे अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए, वे आगे बढते गये इस बात से हमे जरुर कुछ सीखना चाहिए|

एपीजे अब्दुल कलाम जी का स्वाभाव

एपीजे अब्दुल कलाम को बच्चों से बहुत अधिक स्नेह है| वे हमेशा अपने देश के युवाओं को अच्छी सीख देते रहे है, उनका कहना है युवा चाहे तो पूरा देश बदल सकता है| देश के सभी लोग उन्हेंमिसाइल मैनके नाम ने संबोधित करते है| डॉ एपीजे कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र में पितामह के रूप जाना जाता है| कलाम जी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो अविवाहित होने के साथ-साथ वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आए हैराष्ट्रपति बनते ही एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के एक नए युग की शुरुवात की जो कि आज तक आयाम है|

 

राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद का सफर

राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के चांसलर बन गए|  साथ ही अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर बन गए |  इसके अलावा उन्हें देश के बहुत से कॉलेजों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाया जाता रहा|

एपीजे अब्दुल कलाम की बुक्स

अब्दुल कलम साहब की ये कुछ बुक्स, जिनकी रचना उन्होंने की थी:

इंडिया 2020 – विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम

विंग्स ऑफ़ फायरऑटोबायोग्राफी

इग्नाइटेड माइंड

मेनिफेस्टो फॉर चेंज

मिशन इंडिया

इन्सपारिंग थोट

माय जर्नी

एडवांटेज इंडिया

यू आर बोर्न टू ब्लॉसम

दी लुमीनस स्पार्क

रेइगनिटेड

A.P.J. अब्दुल कलाम जी मिले मुख्य अवार्ड सम्मान

·       1981 भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण दिया गया|

·       1990 भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण

·       1997 भारत सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया|

·       1997 इंदिरा गाँधी अवार्ड

·       2011 IEEE होनोअरी मेम्बरशिप

एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल वचन

·         इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरुरी हैं।

·         कृत्रिम सुख की बजाए ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिए।

·         अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखो।

·         गरीबी ने मुझे एक शाकाहारी बनने के लिए मजबूर किया, लेकिन अंत में मैंने इसे पसंद करना शुरू कर दिया।

·         एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के बराबर होता है।

·         जिस दिन हमारे सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जाएं, मान लीजिए आप कामयाब हो गए।

·         सर्वोत्तम व्यक्ति वे नहीं हैं जिन्होंने अवसरों का इंतजार किया बल्कि वे हैं जिन्होंने अवसरों को अपनाया, जीता और सफल बनाया।

·         आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदते आपका भविष्य बदल देगी।

·         अपने कर्म को सलाम करो, दुनियाँ तुम्हें सलाम करेगी, यदि कर्म को दूषित रखोगे तो हर किसी को सलाम करना पड़ेगा।

·         2014: एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया।

 

एपीजे अब्दुल कलाम की म्रत्यु

 

27 जुलाई 2015 को शिलोंग गए थे|  वहां IIM शिलॉंग में एक फंक्शन के दौरान अब्दुल कलाम साहब की तबियत ख़राब हो गई थी वे, वहां एक कॉलेज में बच्चों को लेक्चर दे रहे थे, तभी अचानक वे गिर पड़े. जिसके बाद उन्हें शिलोंग के हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और उनकी स्थिती नाजुक होने के कारण उन्हें आई सी यू में एडमिट किया गया | जिसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम साँसे ली और दुनिया को अलविदा कह दिया| इस दुखद खबर के बाद सात दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया | 84 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनियाँ को अलविदा कह दिया |

म्रत्यु के बाद 28 जुलाई को उन्हें गुवाहाटी से दिल्ली लाया गया, जहाँ उन्हें दिल्ली के घर में आम जनका के दर्शन के लिए रखा गया| यहाँ सभी बड़े नेता ने आकर उन्हें श्रधांजलि दी| इसके बाद उन्हें उनके गाँव एयरबस के द्वारा ले जाया गया| 30 जुलाई 2015 को कलाम जी का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेश्वरम के पास हुआ|

मिसाइल मेन कहे जाने वाले अब्दुल कलाम साहब ने देश की हर उम्र सेवा की अपने ज्ञान के माध्यम से उन्होंने देश को कई मिसाइल दी और देश को शक्तिशाली बनाया |उन्होंने भारत को सुरक्षित बनाने की दृष्टि से पृथ्वी, अग्नि जैसी मिसाइल उन्होंने दी | ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में विख्यात रहे कलाम साहब देश को शक्तिशाली एवम आत्म निर्भर बनाना चाहते थे|  इन्होने तत्व विज्ञान में देश को स्वावलंबी बनाया |

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कार्यकाल में इन्होने देश के लिए बहुत योगदान दिया | यह अपने सरल एवम साधारण व्यव्हार के लिए प्रसिद्ध रहे | मुस्लिम होने के कारण इन्हें दुसरे मुल्क ने अपने मुल्क में बुलाया, लेकिन देश के प्रति प्रेम के कारण उन्होंने कभी देश को नहीं त्यागा | इन्हें देश के एक सफल राष्ट्रपति के तौर पर देखा गया था, इन्होने देश के युवा को समय- समय पर मार्गदर्शन दिया |  उन्होंने अपने उद्घोष एवम अपनी किताबों के जरिये युवा को मार्गदर्शन दिया |

 

 

 

 
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