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अब ला-इलाज नहीं रहे बिनाइन और मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर्स, नई तकनीक से संभव हुआ सफल इलाज

Date : 16-Nov-2022

ब्रेन ट्यूमर को लेकर सामान् धारणा है कि यह एक ला-इलाज बीमारी है. बहुत से लोगों का यह मानना है कि या तो इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है, किसी तरह से ऑपरेशन हो भी गया, तो पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि, यह बात दीगर है कि लोगों की यह धारणा हकीकत से अब बहुत दूर है. बीते सालों में, मेडिकल साइंस ने ऐसी नई तकनीक की खोज कर ली है, जिससे बिना चीर-फाड किए एंडोस्कोपी के जरिए ट्यूमर को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है. हां, यहां यह बात बहुत जरूरी है कि ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को समय पर पहचान कर उसका इलाज शुरू किया जाए.

विश् ब्रेन ट्यूमर दिवस के मौके पर फरीदाबाद स्थिति फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है कि शीघ्र निदान और आरंभिक स्तर पर ही लक्षणों की पहचान करने से ब्रेन ट्यूमर के इलाज से बेहतर नतीजे मिलने की संभावना बढ़ती है. मरीज़ों को यह सलाह दी जाती है कि वे ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षणों को पहचानें और तत्काल किसी न्यूरोसर्जन से संपर्क करें. कई बार सिर दर्दउल्टी आनाहाथ-पैरों में कमज़ोरी महसूस होनादिखाई देने में व्यवधान पैदा होना मस्तिष् में पहले से मौजूद या किसी नए बन रहे ट्यूमर के संकेत होते हैं.

न्यूरो सर्जन डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है कि न्यूरो डायग्नॉसिस और जटिल सर्जिकल

प्रक्रियाओं के चलते अब मरीज़ों को इलाज को लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. अगर ब्रेन ट्यूमर्स का पता शुरुआती अवस्था में लगता है तो सुरक्षित तरीके से इसका इलाज भी मुमकिन है. वर्तमान में रोगों की जांच संबंधी जिन प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है, उनसे डायग्नॉसिस के सटीक होने और परिणामस्वरूप इलाज के भी बेहतर नतीजे मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. बिनाइन और मैलिग्नेंट ट्यूमर्स दोनों के मामले में अब सुधार देखा गया है.

उन्‍होंने बताया कि अलग-अलग क्षेत्रों की जानकारी, उन्‍नत सर्जिकल तकनीकों, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के सकारात्‍मक नतीजे सामने आए हैं. साथ ही, मरीज़ों को भी अपने स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर सतर्क और सजग रहना चाहिए ताकि वे अपने लक्षणों की पहचान कर समय पर इलाज ले सकें.

ब्रेन हेल्थ के लिए रोजाना डाइट में शामिल करें लेट्यूस, अल्जाइमर में भी होगा फायदेमंद

बॉडी को फिट और एनर्जेटिक बनाने के लिए डाइट अहम भूमिका निभाती है और हेल्दी डाइट को कंपलीट करता है सलाद. सलाद में कई पौष्टिक सब्जियों, बीन् और फ्रूट्स को शामिल किया जा सकता है. इनदिनों सलाद में लेट्यूस का प्रयोग काफी किया जाने लगा लगा जो एक रोमन सलाद है. ये हेल् की दृष्टि से काफी पौष्टिक और फायदेमंद माना जाता है. लेट्यूस का प्रयोग कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है, साथ ही ये ब्रेन हेल् के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. अल्जाइमर पेशेंट्स की याददाश् बढ़ाने का काम भी ये बखूबी कर सकता है. चलिए जानते है साधारण सा दिखने वाला लेट्यूस ब्रेन हेल् के अलावा किन बीमारियों में काम सकता है.

ब्रेन हेल् में मददगार
लेट्यूस के पत्ते पोषक तत्वों से भरे होते हैं. इनमें विटामिन, मिनरल, मैग्नीशियम और पोटेशियम भरपूर मात्रा में होते हैं
हेल् लाइन के अनुसार लेट्यूस के पत्ते में एक सफेद तरल पदार्थ होता है जिसे लैक्टुकोरियम के नाम से जाना जाता है. ये अनिद्रा को दूर करने में मदद करता है. प्रॉपर नींद आने से ब्रेन हेल् पर असर होता है और अल्जाइमर जैसी बीमारी में भी फायदा हो सकता है.

 बोन् के लिए फायदेमंद

लेट्यूस विटामिन-के का अहम सोर्स है जो ब्लड क्लॉट और बोन हेल् के लिए फायदेमंद हो सकता है. ये किसी चोट से लगातार निकलने वाले ब्लड को रोकने का काम कर सकता है. लेट्यूस ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रेक्चर के खतरे को कम कर सकता है.

वेट लॉस में मददगार

लेट्यूस एक वेट लॉस फ्रेंडली फूड है जिसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में होती हैं. इसमें हाई फाइबर होते हैं जो पेट और ब्रेन की मसल् डेवलेपमेंट में भी मदद कर सकते हैं. हाई वॉटर फूड होने की वजह से इससे पेट अधिक देर तक भरा रहता है साथ ही डिहाइड्रेशन की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है.

 
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