बिहारशरीफ, (हि.स.)। बिहार के नालंदा में रहने वाला एक किसान ने पेड़-पौधों को पानी देने के लिए प्लास्टिक की बेकार बोतलों को इस्तेमाल करने का शानदार तरीक़ा खोज निकाला है।
हरनौत के किसान राहुल राजन बेहतर काम कर रहे हैं, जिसके तहत वह बंजर ज़मीन को फिर से हरा भरा बनाना चाहते हैं।इस काम के लिए किसान राहुल राजन ने बेकार हो चुकी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया है, जिन्हें लोग इस्तेमाल करके इधर उधर फेंक देते हैं। राहुल उन्हीं बोतलों को इकट्ठा करते हैं और उसके निचले हिस्से को काटकर अलग कर देते हैं, फिर प्लास्टिक की बोतल के ढक्कन में छोटा-सा होल कर देते हैं।इसके बाद उस बोतल को ढक्कन की तरफ़ से पेड़ या पौधें की जड़ के पास लगा दिया जाता है और बोतल को किसी लकड़ी की मदद से खड़ा कर दिया जाता है। बोतल के ऊपरी हिस्से से उसके अंदर पानी भर दिया जाता है, जिसके बाद ढक्कन के छेद से थोड़ा-थोड़ा पानी दिनभर पेड़ पौधों को मिलता रहता है।
किसान राहुल के मुताबिक इस तरह पेड़-पौधों को पानी देना आसान होता है, साथ ही उन्हें तेजी से बढ़ने में भी मदद मिलती है। राहुल बताते है कि पेड़ पौधों को दिन भर में जितना भी पानी दिया जाता है, वह सारा पानी आसानी से सोख लेते हैं। पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करने से पानी की बर्बादी भी नहीं होती और पर्यावरण में प्लास्टिक वेस्ट की बढ़ोतरी भी नहीं होती है। इस तरह धीमी गति से पौधों की सिंचाई करने को टपक विधि के नाम से जाना जाता है।टपक विधि और प्लास्टिक का बेहतरीन इस्तेमाल
राहुल राजन टपक विधि से अपने गांव में लगभग दो हज़ार से ज़्यादा पेड़ पौधों की सिंचाई करते हैं, इसके साथ ही वह नए-नए पौधे लगाकर गांव में हरियाली बढ़ाने पर भी ज़ोर दे रहे हैं। टपक विधि के चलते चिलचिलती गर्मी और सूखे के मौसम में भी पेड़ पौधों की सिंचाई की जा सकती है, जिसमें बहुत कम पानी ख़र्च होता है।किसान राहुल का मानना है कि प्लास्टिक से पर्यावरण को काफ़ी नुक़सान पहुंचता है, लेकिन अगर उसी प्लास्टिक को किसी सही काम में इस्तेमाल किया जाए तो वह फायदेमंद भी साबित हो सकती है। टपक विधि के लिए पानी की बोतल से लेकर कोका कोला और अन्य पेय पदार्थों की वेस्ट प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रमोद