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वैज्ञानिक और थ्योरिटीकल भौतिकशास्त्री-अल्बर्ट आइंस्टीन

Date : 09-Jan-2023

 अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व के जाने माने वैज्ञानिक और थ्योरिटीकल भौतिकशास्त्री है. इन्होंने साधारण रिलेटिविटी की थ्योरी को विकसित किया. विज्ञान के दर्शन शास्त्र को प्रभावित करने के लिए भी इनका नाम प्रसिद्ध है. अल्बर्ट आइंस्टीन का विश्व में सबसे ज्यादा नाम द्रव्यमान ऊर्जा के समीकरण सूत्र E=MC square के लिए है, यह विश्व का बहुत ही प्रसिद्ध समीकरण है. अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किये, कुछ अविष्कारों के लिए आइंस्टीन का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. वे एक सफल और बहुत ही बुद्धिमानी वैज्ञानिक थे. आधुनिक समय में भौतिकी को सरल बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. सन 1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया. अल्बर्ट आइंस्टीन ने कड़ी मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया. इनको गणित में भी बहुत रूचि थी. इन्होंने भौतिकी को सरल तरीके से समझाने के लिए बहुत से अविष्कार किये जोकि लोगों के लिए प्रेरणादायक है.

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और शिक्षा

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ. किन्तु जर्मनी के म्युनिच शहर में वे बड़े हुए और इनकी शिक्षा का आरम्भ भी यही से हुआ. वे बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे और उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया.9 साल की उम्र तक वे बोलना नही जानते थे. वे प्रक्रति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव, कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे. उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू किया और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा.12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला.16 साल की उम्र में, वे गणित के कठिन से कठिन हल को बड़ी आसानी से कर लेते थे.

अल्बर्ट आइंस्टीन की सेकेंडरी पढ़ाई 16 साल की उम्र तक ख़त्म हो चुकी थी. उनको स्कूल पसंद नही था, और वे बिना किसी को परेशान किये, विश्वविद्यालय में जाने के अवसर को ढूंढने की योजना बनाने लगे. उनके अध्यापक ने उन्हें वहाँ से हटा दिया, क्युकि उनका बर्ताव अच्छा नहीं था, जिसके कारण उनके सहपाठी प्रभावित होते थे. अल्बर्ट आइंस्टीन स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीमें जाने के लिए प्रयास करने लगे, किन्तु वे वहाँ के दाखिले की परीक्षा में असफल हुए. फिर उनके प्राध्यापक ने सलाह दी कि सबसे पहले उन्हें स्विट्ज़रलैंड के आरौ में कैनटोनल स्कूलमें डिप्लोमा करना चाहिए. उसके बाद सन 1896 में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अपने आप ही दाखिला मिल जायेगा. उन्होंने प्राध्यापक की सलाह को समझा, वे यहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा इक्छुक थे और वे भौतिकी और गणित में अच्छे थे

सन 1900 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की, किन्तु उनके एक अध्यापक उनके खिलाफ थे, उनका कहना था की आइंस्टीन युसूअल युनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नही है. सन 1902 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पेटेंट ऑफिस में एक इंस्पेक्टर को रखा. उन्होंने 6 महीने बाद मरिअक से शादी कर ली जोकि उनकी ज्युरिच में सहपाठी थी. उनके 2 बेटे हुए, तब वे बर्न में ही थे और उनकी उम्र 26 साल थी. उस समय उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान सम्बन्धी दस्तावेज लिखा.

अल्बर्ट आइंस्टीन का कैरियर

अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत सारे दस्तावेज लिखे इन दस्तावेजों से वे प्रसिद्ध हो गए. उनको जॉब के लिए युनिवर्सिटी में मेहनत करनी पड़ी. सन 1909 में बर्न युनिवर्सिटी में लेक्चरर की जॉब के बाद, आइंस्टीन ने ज्युरिच की युनिवर्सिटी में सहयोगी प्राध्यापक के लिए अपना नाम दिया. दो साल बाद क्ज़ेकोस्लोवाकिया के प्राग शहर में जर्मन युनिवर्सिटी में प्राध्यापक के लिए चुने गए. साथ ही 6 महीने के अंदर ही फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में प्राध्यापक बन गए. सन 1913 में जाने माने वैज्ञानिक मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेर्न्स्ट ज्यूरिक आये और उन्होंने आइंस्टीन को जर्मनी में बर्लिन की युनिवर्सिटी में एक फायदेमंद अनुसंधान प्राध्यापकी के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने विज्ञान की प्रुस्सियन अकादमी की पूरी मेम्बरशिप भी दी. आइंस्टीन ने इस अवसर को स्वीकार कर लिया. जब वे बर्लिन चले गए, तब उनकी पत्नी ज्यूरिक में अपने दो बच्चों के साथ ही रह रहीं थी और उनका तलाक़ हो गया. सन 1917 में आइंस्टीन ने एलसा से शादी कर ली.

सन 1920 में आइंस्टीन हॉलैंड में लेइदेन की युनिवर्सिटी में जीवनपरियंत सम्माननीय प्राध्यापकी के लिए चुने गए. इसके बाद इन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले. इसके बाद इनका कैरियर एक नए पड़ाव पर पहुँचा. इस समय आइंस्टीन ने कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में प्रस्थान किया, यह उनकी यूनाइटेड स्टेट्स में आखिरी ट्रिप थी. वे वहाँ 1933 में गए

आइंस्टीन ने सन 1939 में एक एटॉमिक बम की संरचना में अपना बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया. सन 1945 में आइंस्टीन ने अपना प्रसिद्ध समीकरण E=MC square का अविष्कार किया.

अल्बर्ट आइंस्टीन के अविष्कार

अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये जिसके लिए उनका नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिको में गिना जाने लगा. उनके कुछ अविष्कार इस प्रकार है-

प्रकाश की क्वांटम थ्योरी –

आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे फोटोन कहा जाता है, जिनमें तरंग जैसी विशेषता होती है. उनकी इस थ्योरी में उन्होंने कुछ धातुओं से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया. उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना की. इस थ्योरी के बाद उन्होंने टेलेविज़न का अविष्कार किया, जोकि द्रश्य को शिल्पविज्ञान के माध्यम से दर्शाया जाता है. आधुनिक समय में बहुत से ऐसे उपकरणों का अविष्कार हो चूका है.

E= MC square –

आइंस्टीन ने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक समीकरण प्रमाणित किया, उसको आज नुक्लेअर ऊर्जा कहते है.

ब्रोव्नियन मूवमेंट 

यह अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी ख़ोज कहा जा सकता है, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग मूवमेंट का अवलोकन किया, जोकि अणु और परमाणुओं के अस्तित्व के प्रमाण में सहायक है.

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

अल्बर्ट आइंस्टीन की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है. ब्रम्हांड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रक्रति के नियम के अनुसार बताया है.

जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी –

अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्रस्तावित किया कि गुरुत्वाकर्षण स्पेस टाइम कोंटीनूम में कर्व क्षेत्र है, जोकि द्रव्यमान के होने को बताता है.

मन्हात्तम प्रोजेक्ट

अल्बर्ट आइंस्टीन ने मन्हात्तम प्रोजेक्ट बनाया, यह एक अनुसंधान है, जोकि यूनाइटेड स्टेट्स का समर्थन करता है, उन्होंने सन 1945 में एटॉमिक बम को प्रस्तावित किया. उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में एटॉमिक बम का विनाश करना सिखा.

आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर

यह अल्बर्ट आइंस्टीन का सबसे छोटा अविष्कार था, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए. आइंस्टीन ने एक ऐसे रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया जिसमे अमोनिया, पानी, और ब्युटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके. उन्होंने इसमें बहुत सी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह रेफ्रीजरेटर का अविष्कार किया.

आसमान नीला होता है

यह एक बहुत ही आसान सा प्रमाण है कि आसमान नीला क्यों होता है किन्तु अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस पर भी बहुत सी दलीलें पेश की.

इस तरह अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये जिसके लिए उनका नाम इतिहास में मशहूर हो गया.

अल्बर्ट आइंस्टीन के रोचक तथ्य

·        अल्बर्ट आइंस्टीन अपने आप को संशयवादी कहते थे, वे खुद को नास्तिक नहीं कहते थे.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन अपने दिमाग में ही सारे प्रयोग का हल निकाल लेते थे.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में पढाई में और बोलने में कमजोर हुआ करते थे.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक वैज्ञानिक ने उनके दिमाग को चुरा लिया था, फिर वह 20 साल तक एक जार में बंद था.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन को नॉबल पुरस्कार भी मिला किन्तु उसकी राशि उन्हें नही मिल पाई.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन को राष्ट्रपति के पद के लिए भी अवसर मिला.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन युनिवर्सिटी की दाखिले की परीक्षा में फेल भी हो चुके है.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन की याददाश बहुत ख़राब होने के कारण, उनको किसी का नाम, नम्बर याद नही रहता था.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन की आँखे एक सुरक्षित डिब्बे में रखी हुई है.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन के पास खुद की गाड़ी नही थी, इसलिए उनको गाड़ी चलाना भी नहीं आता था.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन का एक गुरुमंत्र था अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है”.

·        अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार

·        वक्त बहुत कम है यदि हमें कुछ करना है तो अभी से शुरुआत कर देनी चाहिए.

·        आपको खेल के नियम सिखने चाहिए और आप किसी भी खिलाड़ी से बेहतर खेलेंगे.

·        मुर्खता और बुद्धिमता में सिर्फ एक फर्क होता है कि बुद्धिमता की एक सीमा होती है.

अल्बर्ट आइंस्टीन को पुरस्कार

·        अल्बर्ट आइंस्टीन को निम्न पुरस्कारों से नवाज़ा गया.

·        भौतिकी का नॉबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया.

·        मत्तयूक्की मैडल सन 1921 में दिया गया.

·        कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया.

·        मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया.

·        शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया गया.

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु

जर्मनी में जब हिटलर शाही का समय आया, तो अल्बर्ट आइंस्टीन को यहूदी होने के कारण जर्मनी छोड़ कर अमेरिका के न्यूजर्सी में आकर रहना पड़ा. अल्बर्ट आइंस्टीन वहाँ के प्रिस्टन कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे और उसी समय 18 अप्रैल 1955 में उनकी मृत्यु हो गई.

 

 
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