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किसने किया फाउंटेन पेन का आविष्कार

Date : 14-Jan-2023

आज के समय में तकनीकी सुविधाओं की वजह से लोग पुराणी कई महत्वपूर्ण चीजों को भूलते जा रहे है। पुराने समय में लोग कलम दवात से लिखते थे। लेकिन जैसे जैसे तकनीकी आयी। तो कलम दवात ख़त्म हो गयी। उसी तरह से आज के डिजिटल युग में जब से ईमेल और कई तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म आये है तब से डाकघर की सुविधाएँ भी कम हो गयी है। आज कल बच्चे ऑनलाइन मोबाइल या कंप्यूटर पर ऑनलाइन क्लास से पढ़ रहे है।

अगर कुछ भी लिखना होता है, तो वह टैबलेट और कंप्यूटर कीबोर्ड का उपयोग करते है। जिसकी वजह से पेन का महत्त्व बहुत कम हो गया है। आज कई विकसित देशो में सभी महाविद्यालयो के अंदर तकनीकी उपकरणों द्वारा पढाई कराई जाती है। लेकिन भारत में अभी भी कई ऐसे शहर है, जहाँ पर ज्यादातर छात्र कॉपी पेन और पेंसिल का उपयोग करते है। हालाकिं आजकल कुछ लोगो ने फाउंटेन पेन को रखना छोड़ दिया है। लेकिन फिर भी कुछ लोग फाउंटेन पेन को बहुत ज्यादा पसंद करते है।

पेन ने हमारा साथ हमेशा दिया है। जब पुराने समय में पेन नहीं हुआ करते थे। तो ऋषि मुनि लिखने के लिए पंख का उपयोग क्या करते थे। आपने कभी ना कभी किसी चित्र में ऋषि को पंख से लिखते हुए जरूर देखा होगा। आपने कभी ना कभी यह जरूर सोचा होगा अगर पेन नहीं होता तो इसके बिना हमारी जिंदगी कैसी होती है। हम कैसे पढाई लिखे करते। जिस समय लिखने के लिए पंख और कुछ नुकीले पत्थर आदि का उपयोग किया जाता था। उस पेन का अविष्कार एक अजूबे की तरह था।

फोउन्टैन पेन ने हमारी पढाई लिखे को बहुत ही आसान बना दिया है। क्या आप जानते है, की फाउंटेन पेन का आविष्कार किसने किया? और फाउंटेन पेन का आविष्कार कब हुआ? और फॉउन्टेन पेन ज्यादार किस काम में आता है। यह सभी जानकारी विस्तार से जानने के लिए पुरे लेख को पढ़ें। मुझे उम्मीद है, की आपको यह लेख बहुत पसंद आएगा।

फाउंटेन पेन क्या है?

फाउंटेन पेन लिखने का एक ऐसा उपकरण होता है, जिसका उपयोग स्याही Ink को कागज़ पर उतारने के लिए एक निब का उपयोग करता है। इसका उपयोग हम रोज लिखने या हस्ताक्षार करने के लिए करते है। जब भी हमें अपनी कॉपी या नोटबुक में कुछ लिखना होता है, तो हम पेन का उपयोग करते है। हालाकिं बच्चे लिखने के लिए पेन्सिल का उपयोग करते है।

फाउंटेन पेन का उपयोग करते समय यह पेन के अंदर भरी स्याही को निब के माध्यम से कगह पर उतारता है। और गुर्त्वाकर्षण के कारण यह स्याही कगह पर चिपक जाती है। इसका सबसे बड़ा महत्त्व यह है, की फाउंटेन पेन को बार बार स्याही में डूबने की आवश्यकता नहीं होती है।

इसके अंदर बनी स्याही की जगह में स्याही भर दी जाती है। स्याही पेन की निब से होती हुई कागज पर आती है। फाउंटेन पेन में स्याही भरने के लिए किसी आईड्रॉपर या सिरिंज का उपयोग किया जा सकता है। पेन कई प्रकार के होते है। कुछ पेन के अंदर स्याही नहीं भरी जाती है, उनमे पहले से स्याही भरी हुई आती है।

अगर आप जेल पेन का उपयोग करते है, तो उसकी स्याही थोड़ी गीली होती है। जिसे कगह पर उतारने के बाद सूखने में कुछ समय लगता है। इसी तरह से बॉल पेन होता है, बॉल पेन की स्याही कागज पर लिखते ही सुख जाती है। वर्तमान समय में सबसे ज्यादा हम फेल्ट टिप पेन, जेल पेन, बॉलपॉइंट पेन, रोलरबॉल पेन, और कुछ तकनीकी उपकरणों में स्थित लिखने वाले सॉफ्टवेयर जो की स्मार्टफोन, टेबलेट और टच स्क्रीन लैपटॉप में आते है, इनका उपयोग करते है।

अगर हम पुराने इतिहास की बात करें, तो पहले लकड़ी की कलम का उपयोग लिखने के लिए किया जाता था। जिसे बार बार स्याही में डूबना पड़ता था। जब पेन नहीं होते थे, तो कलम को स्याही में डुबोकर कपड़े पत्र लिखे जाते थे। इसके अलावा कुछ संस्कृतियों में बड़े पत्तो पर भी लिखा जाता था।

पहले पेन बनाने के लिए बम्बू का उपयोग किया जाता था। बम्बू को काटकर एक शार्प निब वाला पेन तैयार किया जाता था। जिसे इंक बुश के नाम से जाना जाता था। यह पेन अन्य पेन के मुकाबले में बहुत बड़ा होता था। यह आगे से पतला और पीछे से मोटा होता था। इसका पीछे वाला हिस्सा खोखला होता था। जिसके अंदर स्याही भरी जाती थी। यह एक ट्रेडिशनल पेन है, जिसका उपयोग आज भी कई जगहों पर किया जाता है। इसके बाद स्याही वाले पेन आये जिनमे फाउंटेन पेन भी शामिल है। इन पेनो में एक बार स्याही Ink भरने के बाद यह काफी समय तक चलती है।

शुरुआत में जब फाउंटेन पेन बना था, तो सबसे ज्यादा बिक्री फाउंटेन पेन की हुआ करती थी। लेकिन जैसे ही 1960 के दशक में बॉलपॉइंट पेन की तकनीक आयी, तो फाउंटेन पेन थोड़ा पीछे रह गया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, की फॉउन्टेन पेन पूरी तरह से ख़त्म हो गया है। बस लोगो की थोड़ी सोच बदली है। आज भी ज्यादातर लेखक फॉउन्टेन पेन का उपयोग करते है। क्योकिं इससे लेखन में बहुत खूबसूरती आती है।

फाउंटेन पेन का आविष्कार किसने किया?

जिस तरह से किसी ना किसी चीज का अविष्कार एक महान वैज्ञानिक ने क्या है। उसी तरह से सबसे पहले फाउंटेन पेन का अविष्कार फ्रेंच इन्वेंटर पेट्राचे पोएनरु और रॉबर्ट विलियम थॉमसन ने किया है।

लेकिन अभी तक का सबसे महत्पूर्ण पेन का अविष्कार बॉल पॉइंट पेन को माना जाता है। बॉल पॉइंट पेन का आविष्कार जॉन जैकब लाउड और László Bíró ने मिलकर किया था। इसके अलावा इस पेन को बनाने का श्रेय जॉन जैकब लाउड को भी जाता है।

बॉल पॉइंट पेन को बनाने का विचार जॉन के मन में उस समय आया जब वह चमड़े से बनी कुछ वस्तुओ का कार्य कर रहे थे। लेकिन जब भी उन्हें चमड़े से बनी किसी वास्तु पर निशान लगाना होता था। तो ऐसे में फाउंटेन पेन ठीक तरह से कार्य नहीं करता था।

तो इसके बाद जॉन ने एक पतली धातु की नोक वाले पेन का अविष्कार किया जिसे बॉल पॉइंट पेन कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योकिं इसकी निब के निचे एक छोटी सी बॉल होती है, जो की एक सॉकेट में फंसी होती है। जिसके सहारे स्याही कागज या अन्य वस्तुओ पर उतरती है।

फॉउन्टेन पेन का आविष्कार कब हुआ?

फाउंटेन पेन का आविष्कार फ्रेंच इन्वेंटर Petrache Poenaru (पेट्राचे पोएनरु) और Robert William Thomson (रॉबर्ट विलियम थॉमसन) ने 25 मई सन1857 को किया था। इसके अलावा बॉल पॉइंट पेन का अविष्कार जॉन जैकब लाउड ने सन 1988 में किया था। लेकिन वर्तमान में सबसे ज्यादा उपयोग किये जाना वाला पेन” बॉल पॉइंट पेन” है।

फॉउन्टेन पेन का इतिहास

फॉउन्टेन सबसे पहला पेन था जिसे बार बार स्याही में डूबना नहीं पड़ता था। इसके अंदर लिखने से पहले स्याही डालनी पड़ती है, यह स्याही काफी समय तक पेन में चलती है। लेकिन आधुनिक युग में सबसे ज्यादा उपयोग फोउन्टैन पेन बॉल पोइंट पेन Ballpoint Pen का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।

इसका सबसे बड़ा कारण है। की इसकी स्याही बहुत जल्दी सुख जाती है। जिससे की कागज पर किसी भी तरह के दाग नहीं लगते है। लेकिन अगर बात की जाएँ Fountain Pen (फुब्बारा पेन) की तो इसकी स्याही बहुत देर में सूखती है। और लिखते समय कागज पर बहुत सारे दाग लग जाते है।

इसकी वजह से लोग फॉउन्टेन को चलना कम पसंद करते है। लेकिन अगर आज भी किसी को Design Letter लिखना होता है, तो उसकी पहली पसंद फॉउन्टेन पेन होता है। क्योकिं इससे अक्षरों को Design देना बहुत आसान होता है। फाउंटेन पेन के लिए स्याही का सबसे बड़ा महत्त्व है।

स्याही को सबसे पहले मिस्र और चीन के लोगो ने बनाया था। स्याही को किसी भी चीज पर उतरने से पहले उसे पानी में भिगोया जाता था। इसके बाद किसी नुकीली चीज से कागज, पत्थरो की दीवारों और जानवरो की खाल पर लिखा जाता था। हालाकिं ऐसा माना जाता है, की मिस्र के लोग स्याही आने से पहले पत्थरो और छीनी हथोड़ो की मदद से दिवार पर लिखा करते थे।

लेकिन जब मानव ने स्याही बनाना सिख लिया था, तो उसे पंख और अन्य नुकीली चीजों से कागज या कपड़े पर उतारा जाता था। जब पंख से लिखना मुश्किल हो गया था, तो बम्बू से इंक बुश पेन बनाये गए इनके पीछे खोखले हिस्से में स्याही भरी जाती थी। इसके बाद धीरे धीरे कई पेन जैसे जेल पेन, रोलर बॉल पेन, और आधुनिक बॉलपोइंट पेन का अविष्कार हुआ।

 

 

 

 
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