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किसने किया सर्वप्रथम कागज का आविष्कार

Date : 19-Jan-2023

इस आधुनिक दुनिया में कागज एक बहुत ही महत्पूर्ण भूमिका निभाता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन क्या आपको पता हैकागज का आविष्कार किसने किया अगर नहीं तो आज आपको इस लेख में कागज से सम्बन्धी पूरा कागज का इतिहास पढ़ने को मिलने वाला है, जिसमे कागज का अविष्कार सर्वप्रथम किसने किया, कब किया और किस देश में हुआ और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां इस लेख में शामिल है।

कागज का उपयोग पूरी दुनिया में किया जाता है। जिससे कॉपी, चार्ट, नोटबुक और करेंसी आदि बनाई जाती है। कागज का उपोग सबसे ज्यादा न्यूज़ पेपर के लिए किया जाता है, हालाकिं आज कल दुनिया डिजिटल हो रही है, लेकिन फिर कागज का महत्त्व कुछ अलग ही है। भले ही दुनिया कितनी भी ज्यादा एडवांस हो जाएँ, लेकिन कागज को भूलना नामुमकिन है।

यहाँ तक की वर्तमान समय में सरकार द्वारा प्लास्टिक की पॉलीथिन को बंद कर दिया गया है, इसलिए कागज से बने थैले और लिफाफों का उपयोग सामान रखने के लिए किया जा रहा है। जिससे की पर्यापरण को भी बहुत कम नुकसान हो रहा है। कागज बनाने के लिए घास फ़ूस, और लकड़ी आदि का उपयोग किया जाता है। आइये जानते है, कागज का अविष्कार किसने किया और कागज का इतिहास क्या है –

कागज का आविष्कार किसने किया और कब किया था

कागज का अविष्कार सर्वप्रथमत्साई-लुन” Cai Lun नाम के व्यक्ति ने किया था। जो की चीन का निवासी था। इसलिए ऐसा भी माना जाता है, की कागज का अविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था। Cai Lun ने कागज का अविष्कार चीन में 202 .पू. हान राजवंश के शासन में किया था। इसके बाद कागज का अविष्कार करने वाला दूसरा देश भारत माना जाता है, क्योकिं कुछ खोजकर्ताओं के अनुसार सिंधु सभ्यता के दौरान भारत में कागज बनाने के कई प्रमाण मिले है।

Cai Lun के अविष्कार से पहले लिखने के लिए बांस, और कुछ पेड़ो की पत्तियों, आदि का उपयोग किया जाता था। लेकिन यह सभी वस्तुए बहुत महंगी और कम मात्रा में होने के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। शुरूआती दिनों में Cai Lun कागज का निर्माण भांग, शहतूत के पत्ते, पेड़ की छाल तथा अन्य तरह के रेशों आदि से कागज का निर्माण किया किया करते थे। धीरे धीरे बढ़ते समय के अनुसार कागज बनने की प्रक्रिया में बहुत सुधार आया और वर्तमान समय में कई प्रकार के कागज का निर्माण किया जाता है।

कागज का इतिहास

प्राचीन कल में लोग लिखने के लिए ताड़पत्रों का उपयोग किया करते थे। इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण लेखो को ताम्रपत्र, शिलालेखों, और लकड़ी पर भी लिखा जाता था, जिससे की लेख ज्यादा लम्बे समय तक सुरक्षित रहे। इतिहासकारों के अनुसार कागज का अविष्कार चीन में 201 .पू. हान राजवंश के समयत्साई-लुनने किया था, जो की चीन का निवासी था।

कागज के अविष्कार से पहले लोग बाँस पर और रेशम के कपड़े पर लिखा करते थे, जो की चीन के निवासियों को बहुत महंगा पड़ता था। इसके बाद “त्साई-लुन” लिखने के लिए कागज की खोज की जो की सस्ता और हल्का था। त्साई-लुन को इस अविष्कार के बाद “कागज़ का संत” कहा जाने लगा था।

कुछ इतिहासकारो का ऐसा भी मानना है, की कागज को सबसे पहले मिस्र में पेपिरस एंटीकोरियम नामक घास के द्वारा बनाया गया था। इस कागज को पेपिरस या पेपिरी कहा जाता था। नैश द्वारा लिखे गए ग्रन्थ एकूसोड्स से पता चलता है, की ईशा से लगभग चौदह सौ वर्ष पूर्व मिस्र में पेपिरी का निर्माण किया गया था।

अगर भारत देश की बात की जाए तो भारत में कागज का निर्माण और प्रयोग सिन्धु सभ्यता काल के दौरान हुआ। सिंधु सभ्यता के बाद भारत में कागज निर्माण का पहला कारखाना कश्मीर में “सुलतान जैनुल आबिदीन” (1417-1467 ई.में) के द्वारा लगवाया गया था।

इसके बाद भारत में आधुनिक तकनीक के कारखानों को लगाया गया है, भारत में कागज निर्माण का आधुनिक कारखाना हुगली नदी के तट पर कलकत्ता के निकट ‘बाली’ नामक स्थान पर सन 1870 में लगाया गया। इसके बाद धीरे धीरे भारत के कई शहरों में कागज के कारखाने लगाए जाने लगे जिनमे बंगाल (1887), जगाधरी (1925), टीटागढ़ (1882), और गुजरात (1933) आदि प्रदेश शामिल थे।

आज के युग में कागज का बहुत महत्त्व है, शुरुआत में कागज को हाथो से बनाया जाता है, हालाकिं आज कल तो कागज बनने की कई आधुनिक तकनीक और मशीने आ गयी है। कागज कई प्रकार का बनाया जाता है, जिसमे फोटो कागज़, इंकजेट कागज़, सूत कागज़, वैक्स कागज़, वाल कागज़, बैंक कागज़, बांड कागज़, चीनी कागज़, क्राफ्ट कागज़, बुक कागज़, और ड्राइंग काज आदि। कागज बनाने के लिए आमतौर पर लकड़ी, पुराने कपड़ों, बाँस, घास, और गन्ने की खोई का उपयोग किया जा रहा है।

कागज बनाने में सबसे बड़ी भूमिका सेल्यूलोस की होती है, जो की एक विशेष प्रकार का रेशा होता है। यह एक कार्बनिक यौगिक है। सेल्यूलोस तीन प्रकार का होता है, अल्फ़ा सेल्यूलोस, बीटा सेल्यूलोस, गामा सेल्यूलोस। अगर हम रुई की बात करें, तो रुई के अंदर 99 प्रतिशत अल्फ़ा सेल्यूलोस पाया जाता है। पेड़ो में भी सेल्यूलोस की मात्रा पायी जाती है, जिस पेड़ या पौधे में अधिक मात्रा में सेल्यूलोस होता है, उससे कागज अच्छा बनता है।

कपास के पौधे में भी बहुत अधिक मात्रा में सेल्यूलोस पाया जाता है, लेकिन कपास अधिक महंगी होने के कारण इसका उपयोग कागज बनाने के लिए नहीं किया जाता है। कपास का उपोयग कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है। पेड़ के तने का सबसे अच्छा कागज बनता है, क्योकिं पेड़ के तने के अंदर सेल्यूलोस के साथ-साथ लिग्रिन और पेक्टिन, गोंद, प्रोटीन, और वसा, आदि पाया जाता है।

चीन के बाद कागज का उपयोग सर्वप्रथम किस देश में हुआ

 

जैसा की आपको ऊपर बताया गया है, की कागज के इतिहास के अनुसार चीन के बाद भारत वह देश है, जहाँ पर कागज बनाने के प्रमाण सिंधु सभ्यता के दौरान मिले है। इन सभी प्रमाणों से यह साबित होता है, की चीन के बाद भारत ही कागज बनाने वाला सर्वप्रथम देश है। कागज बनाने की तकनीक भारत के अलावा जापान में सन् 610 तक पहुंची, इसके बाद यह बगदाद में सन् 793, समरकंद में सन् 751 तथा मिश्र और मोरक्को से होते हुए यूरोप तक पहुंच गयी है।

आपको बता दें, की यूरोप में कागज का निर्माण सर्वप्रथम सन् 1150 में स्पेन में हुआ था। इसके बाद कागज उद्योग धीरे धीरे इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, पोलैंड, आस्ट्रिया, रूस, डेनमार्क तथा नॉर्वे आदि में शुरू किया जाने लगा। वर्तमान समय में चीन द्वारा शुरू किये गए कागज का उपयोग पूरी दुनिया करती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 
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